2 May 2020

WISDOM ----- हम सब एक ही मोतियों के हार में गुँथे हुए हैं

  मनुष्य    अपने  स्वार्थ , लालच  और  अहंकार  के  कारण   इस  सत्य  को  भुला  देता  है   l    इस  कारण  अपने  से  कमजोर  का  शोषण  करता  है   ,  उनको  मिटाने   का  प्रयास  करता  है   l   फिर  प्रकृति  का  चक्र  ऐसा  चलता  है   कि  कमजोर  को  मिटाने   का  प्रयास  करने  वाला  स्वयं  ही  मिट  जाता  है  l
  जो  गरीब  हैं , कमजोर  हैं    वे  बचपन  से  ही  कष्टों  में  रहते  हैं  ,  इस  कारण  उनमे  संघर्ष  करने  की  क्षमता   बहुत  होती  है  l   यदि  वे  और  गरीब  हो  जाएँ ,  उनके  कष्ट  और  अधिक  बढ़  जाएँ   तो  भी  वे  फूल - पत्ते  खाकर   संघर्ष  कर  के  जी  लेते  हैं   l
  वक्त  बदलता  है  -----   गरीब  और  गरीब  हो  गए  ,  परिस्थितियों  की  मार  से  ,  कभी  आपदाओं  से   जो   मेहनत   - मजदूरी  कर  रहे  थे   उनका  भी  रोजगार  चला  गया ,  वे  भी  गरीब  हो  गए  l   मध्यम    वर्ग   बेचारा   , जो  भीख  नहीं  मांग  सकता ,  न  भीख  ले  सकता  है  ,  न  ही  अपना  दुःख  किसी  से  कह  सकता  है  l    परिस्थितियों  की  मार  से  वह  अपने  खर्च  में   कटौती  कर  लेता  है ,   अपनी  आवश्यकताओं  को  कम   से  कम   कर  लेता  है   l  सारे  शौक ,  सब  इच्छाओं  पर  नियंत्रण  कर  लेता  है  l  हर  क्रिया  की  प्रतिक्रिया  होती  है   ---- l 
उद्दोग - धंधे  भी  तभी  चलेंगे  जब  उनका  माल  खरीदने  वाले  होंगे  l   वे  स्वयं  भी  अपना  माल  खरीदने  के  लिए  पैसे  बाँट  दे  , तब  भी  ' कल  स्थिति  और  बदतर  न  हो  जाये ' इस  बात  का  भय   और  निराशा  के  कारण   वे   केवल  जरुरी  खर्च  ही  करेंगे  l
यहाँ  महत्वपूर्ण  बात  यह  है   कि   जो  लोग  सुनहरे  पालने   में  झूला  झूलकर,   हर  तरह  की  सुख - सुविधाओं  में  रहकर  बड़े  हुए   , उनके  लिए  किसी  प्रकार  की  हानि  सहना , कष्ट  सहन  करना ,  संघर्ष  करना  असहनीय  होता  है  l
बढ़त - बढ़त  सम्पति  सलिल  मन  सरोज  बढ़  जाये  l 
 घटत - घटत  फिर  फिर  न  घटे   बस   समूल  कुम्हलाय  l     
भाव  यह  है  कि  कमल  का  फूल  पानी  में  डूबता  नहीं   l   पानी  बढ़ने  से  कमल नाल  बढ़ती  जाती  है  ,  पर  पानी  घटने  से   घटती  नहीं , समूल  कुम्हला  जाती  है   l   सम्पत्तिवानों  की  इच्छाएं  असीम  बढ़ती  जाती  हैं  ,  पर  जैसे  ही  सम्पति  गई  ,  इच्छाएं  घटती  नहीं  ,  आदत  बनी   रहती  है  l 
     काल   का  पहिया  घूमता  रहता  है  l   इस  काल चक्र  से  कोई  भी  व्यक्ति ,  कोई  भी  क्षेत्र  अछूता  नहीं  रहता  l   माला  का  एक  मोती  खराब   हो  जाये , टूट  जाये   तो  पूरी  माला  ख़राब  होगी  ,  अंतर  केवल  इतना  है  कि   कोई  मोती  पहले  ख़राब  होगा ,  कोई  बाद  में   l

WISDOM -----

  वर्तमान   युग  की  दुर्भाग्यपूर्ण  स्थिति  का  चित्रण  करते  हुए   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है  ----- "   भावनाओं  को  दिशा  देने  वाली  कुंजी  उन  हाथों  में  चली  गई  है  , जिनमे  नहीं  जानी  चाहिए  थी   l   बारूद  की   पेटी    बालकों   को  थमा  दी  जाये  ,  तलवार  बन्दर  को  मिल  जाये  ,  सशक्त  औषधियों   का   उपयोग  कोई  अनाड़ी   करने  लगे  ,  खजाने  की  व्यवस्था  कोई  पागल  संभाले   तो  उसका  परिणाम   अहितकर  ही  होगा  l   भावनाओं  को  प्रभावित  करना  एक  ऐसा  महत्वपूर्ण  कार्य  है    जिस  पर  संसार  का  भाग्य  और  भविष्य  जुड़ा  हुआ  है    इसलिए  इसको  प्रयुक्त  करने  का  अधिकार    सत्पात्रता  की  आग  में   तपे     हुए    अधिकारियों   और  मनीषियों  को   मिलना  चाहिए   जो  कला  को  सद्विचारों   -  सद्भावों  का  माध्यम  बना  सकें   l  "