17 June 2018

WISDOM -----

 रामकृष्ण परमहंस  कहा  करते  थे ---चील  कितनी  ही  ऊपर  ऊँचाइयों  पर  उड़ती  रहे   फिर  भी  उसकी  द्रष्टि   धरती  पर  पड़े  मृत  जानवर  पर  ही  लगी  रहती  है   l  इससे  कोई  अंतर  नहीं  पड़ता  कि  उसका  शरीर  उतंग  ऊँचाइयों  पर   उड़  रहा  है  ,  पर  मन  फिर  भी  जमीन  पर  अटका  रहता  है  , मांस  के  लोथड़े  तलाशता  रहता  है   l  यह  मन  का  स्वभाव  है  ,  उसे  अधोगामी   बनने  में  रस  आता  है  l  मन  का  परिष्कार  जरुरी  है   l