2 October 2023

WISDOM ----

   आचार्य  गुरुकुल  में  पढ़ा  रहे  थे  l  एक  शिष्य  ने  प्रश्न  किया  -- ' गुरूजी ! धन , कुटुंब  और  धर्म  में   कौन  सच्चा  सहायक  होता  है  ? ' आचार्य  बोले ---- " वत्स  !  धन  वह  है  , जिसे  मनुष्य  जीवन  भर  प्रिय  समझता  है  , लेकिन  उसकी  मृत्यु  के  बाद   धन  उसके  साथ  एक  कदम  की  भी  यात्रा  नहीं  करता  l  कुटुंब  यथासंभव   सहायता  तो  करता  है  , परन्तु  उसका  सहयोग  भी  शरीर  रहने  तक  ही  है  l  मात्र  धर्म  ही  ऐसा  है  ,  जो  लोक  और  परलोक  , दोनों  में  मनुष्य  का  साथ  देता  है   और  उसे  दुर्गति  से  बचाता  है  l  यद्यपि  मनुष्य  जीते  जी  इसकी  उपेक्षा  करता  है  , तब  भी  यही  धर्म   मनुष्य  को  चिरस्थायी  सुख -शांति  प्रदान  करता  है  l 

2 .   संत  गुरु  नानक  तीर्थ  यात्रा  पर  थे   तो  उनसे  किसी  ने  आकर  पूछा  --- " हिन्दू  और  मुसलमान  में  कौन  बड़ा  है   ? "  गुरु  नानक जी  ने  उत्तर  दिया  ---- "  धर्म  का  मर्म  अच्छे  कर्म  करने  में  है  l  बड़ा  वह  कहलाता  है  जो  अच्छे  कर्म  करता  है  l  कोई  धर्म  के  आधार  पर  बड़ा  नहीं  होता  l  कहने  को  खजूर  का  पेड़  भी  बड़ा  होता  है  , पर  उससे  किसी  की  भलाई  नहीं  होती  है    लेकिन  तुलसी  का  छोटा  सा  पौधा  भी   अनेक  रोगों  का  नाश  कर  देता  है  l  यदि  बड़प्पन  और  महानता  का  आकलन  करना  है   तो  व्यक्ति  के  कर्मों  को  देखो  ,  वह  किस  सम्प्रदाय  या  मजहब  को  मानता  है  -- इससे  उसके  बड़प्पन  का  मूल्यांकन  मत  करो  l "  उस  व्यक्ति  ने  फिर  पूछा  --- " क्या  अच्छे  कर्म  करने  के  लिए   किसी  धर्म  को  मानना   जरुरी  नहीं  है   ? "  गुरु  नानक जी  बोले ---- " अच्छे  कर्म  करना  ही  धर्म  है   l  अच्छे  कर्म  करने  वालों  को  किसी  धर्म  को  मानने  की  आवश्यकता  नहीं  है  l "