11 December 2020

WISDOM -----

   जब  भी  धरती  पर   अत्याचार और  अन्याय  बढ़ा  है  ,  दूसरों  का  हक  छीनना ,  अपने  वर्चस्व  के  लिए   दूसरों  को  कमजोर   बने  रहने  को  विवश  करना  ,  उन्हें  आगे  न  बढ़ने  देना  , उत्पीड़ित  करना  आदि  दुष्प्रवृत्तियाँ  जब  भी   बढ़ी  हैं  , उनकी  प्रतिक्रिया स्वरुप  विभिन्न  देशों  में  क्रांतियां  हुई  हैं   l   भगवान  कृष्ण  के  समझाने   पर  भी  जब  दुर्योधन  अपनी  जिद  पर  अड़ा   रहा  और  सुई  की  नोक  बराबर  भूमि  भी  पांडवों  को    देने  से  भी  मना    कर  दिया    तो  महाभारत  का  होना  निश्चित  हो  गया  l   भगवान  ने  गीता  में  कहा  है  -- यह  संसार   मनुष्य   के लिए  कर्मभूमि  ,  कर्तव्य  ही  धर्म  है  l   यदि  प्रत्येक  व्यक्ति  अपना  कर्तव्यपालन  ईमानदारी  से  करे    तो यह   कर्मक्षेत्र  ,  धर्मक्षेत्र   रहे  ,  कुरुक्षेत्र  न  बने   l   आज  के  समय  में   बुद्धिमान  लोगों  ने  कर्म  को  धर्म  से  अलग  कर  दिया   l   इससे  धर्म  के  नाम  पर  दंगे - फसाद  होने  लगे   और   धर्म  से  अलग  होने  पर    कर्म   में   ईमानदारी  और  सच्चाई   का स्थान   लूट  और  शोषण  ने  ले  लिया  l   ईश्वर  का  भय  न  होने  के  कारण   अहंकार   सिर   चढ़  जाता  है   और  लोग   दूसरों  को  चैन  से  जीने  भी  नहीं  देते   l  इसका  परिणाम  विनाशकारी  होता  है  l