15 November 2019

WISDOM ----- भारतीय संस्कृति और गाय

 भारतीय  संस्कृति  में  गाय  का  स्थान  सबसे  ऊँचा  है  l  महाभारत  में  एक  कथा  है -----   यह  कथा  रघुकुल  के  राजा  नहुष  और  महर्षि  च्यवन  की  है   जिसे  भीष्म  पितामह  ने  युधिष्ठिर    को  सुनाया  था  l
  महर्षि  च्यवन  जलकल्प  करने  के  लिए  जल  में   समाधि   लगाए  बैठे  थे   l   एक  दिन  कुछ  मछुआरों  ने   उसी  स्थान  पर  मछलियां  पकड़ने  के  लिए  जाल  फेंका   l   जाल  में  मछलियों  के  साथ  महर्षि  च्यवन  भी  खिंचे   चले  आये   l   उन्हें  देखकर  मछुआरों  ने  उनसे  क्षमा  मांगी  और  कहा  अनजाने  में  उनसे  यह  पाप  हुआ   ,  हमें  आज्ञा  दें  कि   हम  आपकी  क्या  सेवा  करें   l
  महर्षि  ने  कहा --- यदि  ये  मछलियां  जियेंगी  तो  मैं  भी  जीवन  धारण  करूँगा , अन्यथा  नहीं   l '  यह  सुनकर  सारे  मछुआरे  राजा  नहुष  के  पास  गए   और  सारा  वृतांत  कह  सुनाया  l   राजा  नहुष  तत्काल   अपने  मंत्रीगणों  के  साथ   महर्षि  के  पास  पहुंचे   और   हाथ  जोड़कर  बोले  --- आज्ञा  दीजिये  मैं  आपकी  क्या  सेवा  करूँ   l
  महर्षि  च्यवन  ने  कहा --- मेरा  व  मछलियों  का  मूल्य   चुका    दिया  जाये   l   राजा  नहुष  ने    उसी  समय  पुरोहित  को  आज्ञा  दी  कि  मछुआरों  को  एक  हजार  स्वर्ण  मुद्राएं  दो  l   महर्षि  के  इनकार   करने  पर  पुन:  एक  लाख ,  एक  करोड़ ,  फिर  आधा  राज्य   और  अंत  में  पूरा  राज्य  देने  को  कहा  l
 महर्षि  ने  कहा --- आधा  राज्य  या  पूरा  राज्य  भी  मेरा  मूल्य  नहीं  है   l   आप  ऋषियों  से  विचार  कर  मेरा  उचित  मूल्य   दीजिए   l
  तब  ऋषियों  ने  कहा --- ' गाय   अमूल्य  है   l   गौधन  ( गाय )  का   कोई  मूल्य  नहीं  लगाया  जा  सकता   l   अत :  आप   महर्षि  के  मूल्य  के  रूप  में  एक - दो   गौ  दे  दीजिए   l   राजा  नहुष  ने  ऐसा  ही  किया  ,  मछुआरों  को  एक  गाय  दी  l   तब  महर्षि    उठ  गए    और  कहा --- हे  राजन !  आपने  मेरा  उचित  मूल्य  देकर  मुझे  खरीद  लिया  ,  इस  संसार  में   गाय    के  बराबर  और   और  उससे  उत्तम  कोई  धन  नहीं  है   l