1 July 2013

WISDOM

जो काम अभी हो सकता है ,उसे घंटे भर बाद करने की मनोवृति आलस्य की निशानी है | एक -एक कार्य हाथ में लिया और करते चले गये तो बहुत से कार्य पूर्ण कर सकेंगे ,पर बहुत से काम एक साथ लेने से किसे पहले किया जाये ,इसमें समय बीत जाता है और एक भी काम काम पूरा और ठीक से नहीं हो पाता है | अत:पहली बात ध्यान में रखने की यह है कि जो कार्य आज अभी हो सकता है ,उसे कल के लिये न छोड़ें ,उसे तत्काल करें
           धरना देना ,धीमे काम करना ,हड़ताल करना ,भाग खड़े होना ,कर्तव्य त्याग देना ,अनुपस्थित रहना ,यह सब कार्य जीवन को धीमी मृत्यु की ओर ले जाते हैं ,सौंदर्य छीन लेते हैं व जीवन का क्षरण कर डालते हैं |
     अत:हमें जीवन -देवता की साधना- आराधना करते हुए गरिमामय जीवन जीना चाहिये |

DHYAN

'ध्यान अपने अंदर की लड़ाई को समाप्त करने की प्रक्रिया का नाम है | '
हमारा अंतस बैर से ,द्वेष से ,गहरी अशांति व अतृप्ति से भरा है | आत्म विकास का प्रथम चरण है ध्यान | ध्यान में व्यक्ति आत्म चिंतन करता है अपने व्यवहारिक जीवन में आदर्शों एवं सिद्धांतो का समावेश करके आत्म उन्नति की ओर अग्रसर हो जाता है | ध्यान योग के अभ्यास के लिये साधक को वासना ,तृष्णा ,अहंता के बोझ को हलका करना होता है | 
       ध्यान स्वयं को निर्मल बनाने की प्रक्रिया है | चित शुद्धि की प्रक्रिया है ध्यान | नरपशु को देव मानव में बदलने का विज्ञान है ध्यान | जो ईश्वरीय आभा को प्रकट करे वह दैवीय विधान है ध्यान |
   स्थाई सुख शांति प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति को ध्यान के द्वारा अपनी चेतना का विकास करना चाहिये |