11 February 2024

WISDOM -----

देवता  और  असुर  शुरू  से  ही  इस  संसार  में  हैं  l  देखने  में  तो  ये  दोनों  शरीर  से  मनुष्य  ही  हैं  ,  केवल   उनके  गुण -अवगुण  के  आधार  पर  उन्हें  देव  या  असुर  कहा  जा  सकता  l  जो  असुर  हैं  , उनमें  गुणों  की  कोई  कमी  नहीं  होती  l  बहुत  ज्ञानी , तपस्वी ------ अनेक  गुणों  से  संपन्न  होते  हैं  ,  केवल  एक  विशेष  दुर्गुण        ' अहंकार '  उनके  सब  गुणों  पर  पानी  फेर  देता  है  l  इस  अहंकार  के  कारण  अनेक  दुर्गुण  उनमे  स्वत:  ही  खिंचे  चले  आते  हैं  l  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " गुणवान  होना  बहुत  अच्छी  बात  है  l  गुणों  से  ही  संसार  में  कीर्ति  मिलती  है , यश  फैलता  है  l  सफलता  और  कुशलता   दोनों  खिंचे  चले  आते  हैं  l  लेकिन  इन  गुणों  के  साथ  यदि  अहंकार  भी  हो  तो   इन  सबका  दायरा  संसार  तक  ही  सिमट  जाता  है  l  अहंकारी  व्यक्ति  अपने  समस्त  गुणों, विभूतियों  के  बावजूद   दैवी  प्रयोजनों  के  लिए  अनुकूल  नहीं  रह  जाता  l "     अहंकारी  स्वयं  को  श्रेष्ठ  समझता  है  और  अपने  अहंकार  के  पोषण  के  लिए  छल , कपट , षड्यंत्र , कुटिलता  , कठोरता  ----- आदि  का  सहारा  लेता  है   l  रावण  कितना  विद्वान्  था   लेकिन  अहंकारी  था  , अपनी  महत्वाकांक्षा  के  अतिरिक्त  वह  किसी  का  सगा  नहीं  था  l  बालि  से   उसकी  मित्रता  केवल  छल  और  छद्म  थी  , वह  वानरों  में   फूट  डालकर  उनकी   शक्ति  को  कम  करना  चाहता  था  l   इस  अहंकार  के  कारण  ही  उसने  ऋषियों  पर  अत्याचार  किए , सीता -हरण  किया   l  दसों  दिशाओं  में  उसका  आतंक  था  ,  उसका  अहंकार  उसे  ले   डूबा   l   रावण  को  युगों  से  हर  वर्ष  जलाते  हैं  , लेकिन  यह  अहंकार  समाप्त  नहीं  हुआ  l  आज  संसार  में  जितनी  अशांति , युद्ध , अपराध  आदि  अनेक  समस्याएं  हैं  उनके  मूल  में  किसी  न  किसी  का  अहंकार  ही  है  l  संसार  में  जितने  भी  अहंकारी  हैं  वे  यदि  अपने  अहंकार  को  त्याग  दें   तो   संसार  में  कितनी  शांति   हो  l