23 November 2021

WISDOM-------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- ' धर्म  के  अनेक  स्वरुप  होते  हैं   l  सत्य , न्याय , दया , परोपकार , पवित्रता  आदि  धर्म  के  अमिट   सिद्धांत  हैं  और  इनका   व्यक्तिगत  रूप  से  पालन  किये  बिना   कोई  व्यक्ति  धर्मात्मा   कहलाने  का  अधिकारी  नहीं  हो  सकता   l  देश  भक्ति  भी  धर्म  है ,  एक  पवित्र  कर्तव्य  है  l   जिस  देश  में  मनुष्य  ने    जन्म  लिया   और  जिसके  अन्न जल  से  उसकी  देह  पुष्ट  हुई   ,  उसकी  रक्षा  और  भलाई  का  ध्यान  रखना   भी  मनुष्य  के  बहुत  बड़ा  धर्म  हैं   l