पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- ' धर्म के अनेक स्वरुप होते हैं l सत्य , न्याय , दया , परोपकार , पवित्रता आदि धर्म के अमिट सिद्धांत हैं और इनका व्यक्तिगत रूप से पालन किये बिना कोई व्यक्ति धर्मात्मा कहलाने का अधिकारी नहीं हो सकता l देश भक्ति भी धर्म है , एक पवित्र कर्तव्य है l जिस देश में मनुष्य ने जन्म लिया और जिसके अन्न जल से उसकी देह पुष्ट हुई , उसकी रक्षा और भलाई का ध्यान रखना भी मनुष्य के बहुत बड़ा धर्म हैं l