16 September 2020

WISDOM -----

   ईश्वर  हमें  बिना  मांगे  ही  बहुत  कुछ  देते   हैं ,   लेकिन  यदि  हम  जागरूक  नहीं  हैं   ,  विवेक  नहीं  है   तो   ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार , लालच , छल - कपट    जैसे  दुर्गुणों     के  कारण   हम  ईश्वर  की  देन   का  सदुपयोग  नहीं  कर   पाएंगे   l   एक   कथा है ---- एक  बार  पार्वती  जी  और  शंकर जी   धरती  पर  भ्रमण  को  निकले  l   उन्होंने   देखा कि   उनका  एक  ब्राह्मण  भक्त  ,  उसकी  पत्नी  व  बच्चा  सारे   दिन   ॐ नम: शिवाय   का जप  करते  l   यह  देख   पार्वती  जी  ने  शंकर जी  से  कहा --- " ये  हमारे  भक्त  लोग  हैं  ,  हम  यहाँ  से  निकल  रहे  हैं  तो   इन  बेचारों  को  कुछ  वरदान  देकर  चलें  l  "  शंकर जी  ने  कहा --- " पार्वती  !  बेकार  है  इनको   वरदान  देना   l   ये  इस  लायक  नहीं  हैं  कि   इन्हे  कुछ  दिया  जाये  l  न  तो  इनमे  पात्रता  है  और  न  सँभालने  की  क्षमता  l  "  पार्वती  जी  ने  कहा ---  नहीं  महाराज  !  आप  तो  ऐसे  ही  बहाने  बना  देते  हैं  l   पहले  आप  इन्हे  कुछ  दें ,  फिर  पता  चलेगा  l   शंकर जी  राजी  हो  गए  और   उन तीनों  से  वरदान  मांगने  को  कहा l   ब्राह्मण  की  पत्नी  जरा  समझदार  थी , सबसे  पहले  वह   आगे  आई  l   शंकर जी  ने  पूछा --- ' तुम्हारी  मनोकामना  क्या  है   ? '  वह    बोली --- "   भगवन   !  हमें  बीस   साल  की  खूबसूरत   युवती  बना  दीजिए  l " भगवन  ने  कहा  --- तथास्तु  !    अब  वह  बहुत  खूबसूरत  हो  गई l   ब्राह्मण  ने  उसे  देखा  तो  उसे  बहुत  गुस्सा  आया  कि   अब  तो  ये   पति , बच्चा  सबको  भूल  जाएगी  l   अब  ब्राह्मण  की  बारी  आई  वरदान  मांगने  की   तो  उसने  शंकर जी  से  कहा --- " भगवन  !  इस  स्त्री  को  शूकरी   बना   दीजिये  l  '  शंकर जी  ने  कहा --- " अच्छी  तरह  सोच  लो  l ' उसने  कहा ---" महाराज   जी  !  मैंने  सोच  समझकर  ही  वर  माँगा  है  l   शंकर  ही  तो  भोले  बाबा  हैं  ,  उनने   तथास्तु  कहते  हुए  जल  छिड़का  ,  तो  वह  सुन्दर  नारी  से  शूकरी   बन  गई  l   बालक  यह  सारा  दृश्य  देखकर  रोने   लगा  l   शंकर जी  ने  कहा --- " तुम   क्यों  रोते    हो  ?  तुम  भी  वरदान  मांग  लो  l   बच्चे  ने  कहा --- " भगवन  !  यदि  आप  मुझ  पर  प्रसन्न  हैं  तो  मेरी  माँ  को  पहले  जैसी  बना  दीजिए ,  मुझे  मेरी  माँ  चाहिए   l  शंकर जी   ने  कहा --- ' तथास्तु  ! और  वह  ब्राह्मण की  पत्नी    पुन:  शूकरी   से  पहले  जैसी  स्थिति  में  आ  गई  l   शंकर जी  ने  पार्वती  जी  से  कहा   " देवि  !  देखा  आपने  , इन  तीनों  ने  तीन  वरदान  व्यर्थ  गँवा  दिए   l   चाहते  तो  विवेकपूर्ण  वरदान  लेकर  अपना   जीवन   और  जन्म   सुधार  सकते  थे  l   हमें  ईश्वर   से  प्रार्थना  कर  के  कुछ  माँगना   और  जो  मिला  है  उसका  सदुपयोग  करना  आना  चाहिए  l 

WISDOM -----

  धृतराष्ट्र    ने  विदुर  से  पूछा --- " क्या  कारण  है  कि  सभी  सौ   वर्ष  की  आयु  नहीं  जी  पाते  l   जरा  एवं   व्याधि  से   उससे  पूर्व  ही  वे  काल - कवलित  हो  जाते  हैं  ? "  विदुर जी  ने  तब   नीति   का  एक  सूक्त  कहा ,  जिसका  भावार्थ  है ----- ' अत्यंत  अभिमान ,  अधिक  बोलना ,  त्याग  का  अभाव  ,  क्रोध ,   अपना  ही  अपना  भरण - पोषण   करने  की  चिंता  ,  स्वार्थपरता   और  मित्रद्रोह  ----- ये  छह  तीखी  तलवारें  हैं  ,  जो  देहधारियों  की   आयु  को  काटती  हैं  l   ये  ही  मनुष्यों  का  वध  करती  हैं , मृत्यु  नहीं  l   फिर  वे  बोले ---- " हे  राजन  !  जो  इन  छह   बातों  से  बचकर  रहेगा  ,  निश्चय  ही  वह   सौ   वर्ष  की  आयु  तक  जी  सकेगा   l "