7 July 2019

WISDOM ------ मन , कर्म और वचन की एकता ही दूसरों की अंतरात्मा पर अपनी छाप छोड़ती है l

 संसार  में   बुराई  इसलिए  फैली  है  कि  लोगों  के  मन  में  बुरे  विचारों  का  बाहुल्य  रहता  है  l  चोर , डाकू , जुआरी , व्यभिचारी , व्यसनी  अपने  विचारों  के  पक्के  होते  हैं  l शराबी  अपने  विचारों  में  पक्का  होता  है  l  बदनामी ,  धनहीनता   और  स्वास्थ्य नाश  की  परवाह  न  कर  के  वह  शराब  पीता है  l  उसके  विचार  और  कर्म में  एकता  है , वह  स्वयं  तन्मय  होकर  शराब  पीता  है  फिर  अपने  संगी - साथियों  को  भी  पीने  के  लिए  प्रेरित  करता  है  l  विचार  व  कर्म  की  इस  एकता  से  एक  द्रढ़ता  उसमे  रहती  है   , इस  कारण  अनेक  मनुष्य  उसके  प्रभाव  में  आकर  शराब  पीने  लगते  हैं  l
  चरित्र  शिक्षण  की  यही  पद्धति  सफल  होती  है  --- जैसा  कहते  हो , उपदेश  देते  हो  ,  वैसा  आचरण  स्वयं  करो  l  
 बुराई  की   भांति  अच्छाई  में  भी  अपनी  शक्ति  होती  है  किन्तु  अच्छाई  इसलिए  पनप  नहीं  पाती   क्योंकि  उसका  शिक्षण  करने  वाले  ऐसे  लोग  नहीं  निकल  पाते   जो  अपने  वचन  व  कर्म  की  एकता  से  दूसरों  की  अंतरात्मा  पर  अपनी  छाप  छोड़  सकें  l  अपने  अवगुणों  को  छिपाने  के  लिए  या  सस्ती  प्रशंसा  पाने  के  लिए  लोग  अच्छाई  का , शराफत  का  आडम्बर  ओढ़  लेते  हैं  l  ' पर  उपदेश  सकल  बहुतेरे  l '
   जब  कभी  परिपक्व  आचरण  के  सच्चे  एवं  श्रेष्ठ  व्यक्ति  प्रकाश  में  आते  हैं  तो  असंख्य  लोग  उनसे  प्रेरणा  प्राप्त  करते  हैं  l  महात्मा  गाँधी  वही  कहते  थे  ,  जो  करते  थे  l  जो  उनके  मन  में है , वही  उनकी  वाणी  में  है   इसलिए  उनकी  प्रेरणा  से  असंख्य  व्यक्तियों  की  भावनाएं  बदली  ,  सुख - वैभव  छोड़कर  लाखों  व्यक्तियों  ने  हँसते - हँसते  भारी  बलिदान  की  जोखिम  उठाई  l  वे   विश्व  भर  में   असंख्यों  के  लिए  अनुकरणीय  हैं  l