2 March 2021

WISDOM ------ शांति पदार्थ को जानने से नहीं , मानव चेतना को जानने से आती है ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- " मानव  चेतना   को सही   और    समग्र  ढंग  से  जाने  बिना  विज्ञान   को  जानना  अधूरा    ज्ञान  है   l   वह  ऐसा  ही  है   कि   सारे  जगत  में   तो  प्रकाश  हो   और  अपने  ही  घर  में  अँधेरा  हो   l  यह   अपने  ही  हाथों  लगाईं  गई  फाँसी   हो  जाती  है  l   जीवन  में  शांति   और  संतोष   मानव  चेतना  को  जानने  से  ही  आता  है   l "  इस  अधूरेपन  से  उपजी   परिस्थिति  का  विश्लेषण  करते  हुए  पॉल   टिलिच   ने  लिखा  है ----- "आधुनिक  मनुष्य  जीवन  का  अर्थ  खो   चुका  है  l   इस  खोएपन   की  शून्यता  को   प्राय:  उथली   विज्ञान   पूजा  से  भरा  जाता  है  l   इस  कारण  वह  अपने  नैतिक  जीवन  में  , यहाँ  तक  कि   भावनात्मक  समस्याओं  के  लिए  भी   वैज्ञानिक  समाधान  खोजता  है  l   इस  खोजबीन  में  उसे  तनाव ,  कुंठा  व  असुरक्षा  ही  हाथ  लगती  है   l  "         आचार्य  श्री   लिखते  हैं  ----- " अब  तक  विज्ञान   और  अध्यात्म  में   जो  विरोध  रहा  है  ,  उसका  परिणाम   अशुभ  है   l  जिन्होंने  मात्र  विज्ञान   की  खोज  की  है  ,  वे  शक्तिशाली  हो  गए  ,  पर  अशांत   और संतापग्रस्त  हैं    और  जिन्होंने   मात्र  अध्यात्म  का  अनुसन्धान   किया  है  ,  वे  शांत  तो  हो  गए  ,  पर  लौकिक  दृष्टि  से    अशक्त  और  दरिद्र  हैं   l   आवश्यकता    वैदिक   ज्ञान  की  परंपरा   को  नवजीवन  देने  की    है   l   आचार्य श्री  कहते  हैं  --- शक्ति  और  शांति  का  ,      विज्ञान   और  अध्यात्म  का  समन्वय  जरुरी  है