28 May 2020

WISDOM ----- काल बड़ा बलवान

  पुराण  की  एक  कथा  है ----  दैत्यकुल  के  महाराज  बलि   इंद्रासन   पर   प्रतिष्ठित  थे  l   यह  बात  देवताओं  को  सहन  नहीं  हो  रही  थी  l   महाराज  बलि  महान  तपस्वी  थे  , वे  स्वर्ग  के  भोग - विलास ,  राग - रंग  में  मगन  नहीं  थे  ,  उनका  हर  क्षण ,  हर  पल   श्रेष्ठ  कर्मों  में  नियोजित  रहता  था  l  उनका  अपरिमित  बल  था  ,  उनकी  भक्ति  भी  असाधारण  थी  l   वे  तपस्वी  के   साथ   एक  सच्चे  भक्त  भी  थे  l     वामन  बनकर  भगवान   विष्णु   उनके  पास  गए   और  कहा  --- " बलि  ! मुझे  तीन  पग  जमीन   दान  में  दे  दो  l '  गुरु  शुक्राचार्य   ने  उन्हें  भगवान  विष्णु  के  इस  छल  के  प्रति  आगाह  भी  किया  था   लेकिन  बलि  ने  कहा --- हे  गुरुवर  !  स्वयं  भगवान  मेरे  द्वार  पर  याचक  बन  कर  आएं  , तो  मैं  उन्हें  कैसे  मन  कर  सकता  हूँ  l  "
  भगवान  विष्णु  ने  दो  पग  में  धरती - आसमान  नाप  लिए  ,  अब  तीसरा  पग  कहाँ  रखें  ,  बलि  ने  कहा  -- इसे  मेरे  सिर   पर  रखें  l   भगवान  ने  बलि  के  सिर   पर  पाँव  रखकर  उसे  पाताल   भेज  दिया  l  महाराज  बलि  का  समस्त  साम्राज्य  छिन   गया  , अब  वे  साधारण  इनसान   की  भांति  पाताललोक  में  रहने  लगे   l   यह  स्थिति  उनके  परिजनों  को  मंजूर  नहीं  थी   कि   वे  इतनी  साधारण  स्थिति  में  रहें  l  तब  महाराज  बलि  ने  उन्हें  समझाया ---- " काल  की  बड़ी  महिमा  है  l  काल  की  महिमा  से  जो  अवगत  होते  हैं  ,  वे  उसको  प्रणाम  कर  के    उसके  अनुकूल  स्वयं  को  ढाल  लेते  हैं  l   आज  काल  हमारे  साथ  नहीं  खड़ा  ,  अत:  ऐसे  विपरीत  समय  में    कोई  ज्ञान , कोई  तप , कोई  साधन  काम  नहीं  आते  l   काल  की  इस  विपरीत  दशा  में   हमें  शांत  एवं  स्थिर   बने  रहना  चाहिए  l  प्रभु  द्वारा  निर्धारित  स्थान  पर  रहकर  ,  अपनी  भक्ति  के  सहारे   आने  वाले  अनुकूल  समय  की   प्रतीक्षा  के   अलावा   और  कोई  विकल्प  नहीं  है  l   इस  समय  कोई  प्रयास - पुरुषार्थ  काम  नहीं  आता  l   इस  समय  कोई  अपना  भी  साथ  नहीं  देता  है  ,  केवल  भगवान  ही  सुनता  है  और  साथ  देता  है  l '