रावण सीताजी का अपहरण कर जा रहा था , जटायु ने जब यह अत्याचार देखा तो अपनी भरपूर शक्ति से रावण पर आक्रमण किया l युद्ध में रावण ने जटायु के पंख काट दिए , जिससे वह घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा l
पंख कटे जटायु को गोद में लेकर भगवान राम ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ---- " तात ! तुम जानते थे रावण मह बलवान है , फिर उससे तुमने युद्ध क्यों किया ? "
जटायु ने गर्वोन्नत वाणी में कहा ---- " प्रभु ! मुझे मृत्यु का भय नहीं है , भय तो तब था जब अन्याय , अत्याचार के प्रतिकार की शक्ति नहीं जागती l "
भगवान राम ने कहा ---- " तात ! तुम धन्य हो l तुम्हारी जैसी संस्कारवान आत्माओं से संसार को कल्याण का मार्ग दर्शन मिलेगा l "
पंख कटे जटायु को गोद में लेकर भगवान राम ने स्नेह से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ---- " तात ! तुम जानते थे रावण मह बलवान है , फिर उससे तुमने युद्ध क्यों किया ? "
जटायु ने गर्वोन्नत वाणी में कहा ---- " प्रभु ! मुझे मृत्यु का भय नहीं है , भय तो तब था जब अन्याय , अत्याचार के प्रतिकार की शक्ति नहीं जागती l "
भगवान राम ने कहा ---- " तात ! तुम धन्य हो l तुम्हारी जैसी संस्कारवान आत्माओं से संसार को कल्याण का मार्ग दर्शन मिलेगा l "