ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की l बढ़ती हुई जनसँख्या से उन्हें चिंता हुई तो उन्होंने अपने तपोबल से मृत्यु को बनाया और उसे आदेश दिया कि ---- ' मनुष्यों की बढ़ोत्तरी न हो पाए , इसलिए तुम उन्हें मार - मारकर परलोक भेजती रहो l '
यह सुनकर मृत्यु रोने लगी कि यह निर्दयतापूर्ण कार्य मुझसे न हो पायेगा l तब प्रजापति ने उससे कहा ---- " मैं आठ काल - दूतों को पृथ्वी पर भेजता हूँ l वे आदमी के मन में प्रवेश कर उन्हें भीतर ही भीतर खोखला करते रहेंगे l इनके चंगुल में फँसे रहने के कारण वे मरणासन्न हो जायेंगे और इस क्लेश से मुक्ति पाने के लिए वे स्वयं ही तुम्हारे आश्रय को ढूंढने लगेंगे l फिर तुम्हारा कार्य निष्ठुरता का नहीं दया और सांत्वना का होगा l ' मृत्यु संतुष्ट हो गई l अब ब्रह्मा जी ने काल - दूतों से उसका परिचय कराया ---- इनके नाम हैं ---- असंयम , आवेश , ईर्ष्या , लोभ , निष्ठुरता , अशिष्टता , तृष्णा और आलस्य l
ये जहाँ रहेंगे वहां तीव्र और मंद गति से आदमी मरणासन्न होते रहेंगे l
यह सुनकर मृत्यु रोने लगी कि यह निर्दयतापूर्ण कार्य मुझसे न हो पायेगा l तब प्रजापति ने उससे कहा ---- " मैं आठ काल - दूतों को पृथ्वी पर भेजता हूँ l वे आदमी के मन में प्रवेश कर उन्हें भीतर ही भीतर खोखला करते रहेंगे l इनके चंगुल में फँसे रहने के कारण वे मरणासन्न हो जायेंगे और इस क्लेश से मुक्ति पाने के लिए वे स्वयं ही तुम्हारे आश्रय को ढूंढने लगेंगे l फिर तुम्हारा कार्य निष्ठुरता का नहीं दया और सांत्वना का होगा l ' मृत्यु संतुष्ट हो गई l अब ब्रह्मा जी ने काल - दूतों से उसका परिचय कराया ---- इनके नाम हैं ---- असंयम , आवेश , ईर्ष्या , लोभ , निष्ठुरता , अशिष्टता , तृष्णा और आलस्य l
ये जहाँ रहेंगे वहां तीव्र और मंद गति से आदमी मरणासन्न होते रहेंगे l