9 January 2020

WISDOM ------ अहंकार अपने लिए नरक की सृष्टि करता है

   अहंकारी  व्यक्ति  स्वयं  को  श्रेष्ठ  समझता  है   और  हर  किसी  को  अपने  अनुसार  चलाना   चाहता  है  l  अपने  इस  दुर्गुण  की  वजह  से  वह  समाज  को  तो  उत्पीड़ित  करता  ही  है ,  यह  अहंकार  उसके  स्वयं  के  लिए  कितना  घातक  है ,  यह   ' युग  गीता '  के  इस  लेख  के  अंश  से  स्पष्ट  है ----"  सारी   तकलीफें  अहंकार  के  साथ  जुड़ी   हैं  l  अहंकार  कांटे  की  तरह  चुभता  है , घाव  की  तरह  रिसता   है  l  एक  आदमी  अपने  पास  से  निकला --- उसने  नमस्कार  नहीं  किया , चरण  नहीं  छुए , बस , समझो  कि   आरम्भ  हो  गई  तकलीफ  l   बात  कुछ  नहीं , बस , अपने  अहंकार  का  घाव  दुःख  गया  l   इस  अहंकार  के  कारण   रोज  नई - नई  तकलीफें  होती  है  l   किसी  की  हँसी ,  किसी  की  ख़ुशी , सभी  कुछ  तो  तकलीफ  देती  है  l  अहंकार  घाव  है , फिर  हर  चीज  उसी  में  लगती  है  l   जब  तक  कुछ  न  लगे  अहंकारी  की  बेचैनी  बढ़ती  ही  जाती  है   कि   आज  बात  क्या  है , अपने  अहंकार  से  कोई  टकराया  ही  नहीं   l   हालाँकि  हमसे  हमारे  अहंकार  से  किसी  को  मतलब  नहीं  है l   फिर  भी  अहंकार  को  सबसे  मतलब  है  l   अहंकार  अपने  लिए  नरक  की  सृष्टि  करता  ही  रहता  है  l  "
  गीता  में   भगवान   ने  कहा  है  -- सारे   कर्म  प्रभु  को  अर्पित  करने  से  जीवन  का  नरक  चला  जाता  है  ,  हम  केवल  निमित  हैं    l  हम  न  करेंगे   तो  कोई  और  करेगा ,  हम  ही  ईश्वर  का  कार्य  करने  के  पुण्य  से  वंचित  रह  जायेंगे  l
  अहंकारविहीन  होने  में  ही  जीवन  का  सच्चा  आनंद  है  l