21 October 2019

WISDOM -----

  महाकवि  कालिदास   ने  एक  प्रसंग  में  कहा  है ,  पुरानी  होने  से   हर  कोई   वस्तु   अच्छी  नहीं  हो  जाती   और  न  ही  नई  होने  मात्र  से   कोई  बुरी  l  केवल  मूढ़  व्यक्ति    भेड़चाल  को  अपनाते  हैं  ,  जबकि  बुद्धिमान  विवेक  का  आश्रय  लेते  हुए  ,  गुण - दोष  की  परीक्षा  करते  हुए   स्वयं  चुनाव  करते  हैं   l
         '  जो  राष्ट्र   केवल  अपने  समय  में   वर्तमान  में  ही  जीता  है  ,  वह  सदा  दीन  होता  है  ,  यथार्थ  में    समुन्नत  वही  होता  है  ,  जो  अपने  आपको   अतीत  की  उपलब्धियों   तथा  भविष्य  की  संभावनाओं  के  साथ  जोड़कर  रखता  है   l '

WISDOM ----- दूसरों को सुधारने के बजाय स्वयं को सुधारें

   मनुष्य  का  स्वभाव  ही  ऐसा  है  कि  वह  हर  गलत  काम  करने  पर  दूसरों  को  दोष  देता  है  ,  परिस्थितियों  को  दोष  देता  है ,  परन्तु  खुद   को  दोष  नहीं  देता  l
  अब्राहम  लिंकन  ने   अपने  जीवन  के  अनुभव  से   दूसरों  की  आलोचना   करने  के  बुरे  परिणाम  को  जाना  l  उनका  प्रिय  कोटेशन  था ---- " किसी की  आलोचना  मत  करो ,  ताकि  आपकी  भी  आलोचना  न  हो  l "  जब  भी  श्रीमती  लिंकन  और   दूसरे   लोग   दक्षिणी  प्रान्त   के  लोगों  की  आलोचना  करते    तो  लिंकन जवाब  देते  थे --- " उनकी  आलोचना  मत  करो ,  अगर  हम  उन  परिस्थितियों  में  होते   तो  हम  भी वैसे  ही  होते  l "   लिंकन  अपने  जीवन  के  कटु  अनुभवों  से  यह  जानते  थे  कि  तीखी  आलोचना  और   डाँट - फटकार   हमेशा  नुकसानदायक  होती  है   और  उससे  कोई  लाभ  नहीं  होता  है  l   आलोचना  यदि  दूसरों  को  सुधारने  के  लिए  भी  हो   तो  दूसरों  को  सुधारने  के  बजाय  स्वयं  को  सुधारना   ज्यादा  फायदेमंद   होता  है  और  उसमे  खतरा  भी  कम  होता  है  l
       यदि   किसी  के  मन  में  स्वयं  के  प्रति    विद्वेष  पैदा  करना  है  ,  जो  दशकों  तक  पलता रहे   और  मौत  के  बाद  भी  बना  रहे  ,   तो  इसके  लिए  कुछ  खास  नहीं  करना  पड़ता  ,  सिर्फ  चुनिंदा  शब्दों  में   चुभती  हुई  आलोचना  करनी   होती    है  l  ज्यादातर  लोग   जाने - अनजाने   ऐसा  ही करते  हैं   और  दूसरों  के  मन  में   खुद  के  प्रति  विषबीज   बो  देते  हैं   l