29 May 2020

WISDOM ------

  महाभारत  का  युद्ध  निश्चित  हो  गया  था  l   दोनों  पक्ष  अपने - अपने  सहायकों  को    एकत्र   करने  में  लग  गए  थे   l  इसी  क्रम  में  एक  दिन   दुर्योधन  भगवान  श्रीकृष्ण   के  पास  युद्ध  में  सहायता   मांगने  हेतु  पहुंचे  l   श्रीकृष्ण  उस  समय  विश्राम  कर  रहे  थे   l   दुर्योधन  उनकी  शैया  के  सिरहाने  बैठ  गए  l   तभी  अर्जुन  भी  इसी  उद्देश्य  से   श्रीकृष्ण  के  पास  पहुंचे  l  और  उन्हें  सोया  हुआ  देखकर  उनके  चरणों  के  पास  खड़े  हो  गए   l  जागने  पर  श्रीकृष्ण  ने  अपने  सम्मुख   अर्जुन  को  देखा   और  उनके  आने  का  उद्देश्य  पूछा  l   दुर्योधन  तुरंत  बोले  ---- " वासुदेव  !  पहले  मैं  आया  हूँ   l "  तब  भगवान  ने  पीछे  देखकर  दुर्योधन  के  आने  का  कारण  पूछा  l   तब  दुर्योधन  और  अर्जुन  दोनों  ने  अपने  आने  का  उद्देश्य  बताया  l
  इस  पर  श्रीकृष्ण  बोले ---- " मैं  इस  युद्ध  में   दीजिए शस्त्र  नहीं  उठाऊंगा  l   एक  ओर   मैं  शस्त्रविहीन  रहूँगा   और  दूसरी  ओर   मेरी  सेना  रहेगी  l  '   अर्जुन  ने  नि:शस्त्र   श्रीकृष्ण  को  चुना    और  दुर्योधन  ने  सेना  को  चुना   l   दुर्योधन  प्रसन्न  होकर  चले  गए   l   तब  श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  से  पूछा  --- "  तुमने  नि:शस्त्र   मुझे  क्यों  चुना  ,  सेना  क्यों  नहीं  ली  ? "
तब  अर्जुन  बोले  --- " हमारी  जय  हो  या  न  हो  ,  हम  आपको  छोड़कर  नहीं    रह  सकते  l  "
 वासुदेव  ने  हँसकर   पूछा ---- " मुझसे  क्या  कराओगे  ? "  अर्जुन  हँसकर   बोले ---- "  आपको  बनाऊंगा  सारथी  l   मेरे  रथ  की  डोर  हाथ  में  लीजिए   और  मुझे    निश्चिन्त  कर   दीजिए   l "
   जो  अपने  जीवन - रूपी  रथ  की   डोर   भगवान  के  हाथों  में  सौंप  देते  हैं  ,  उन की  लौकिक  तथा  पारमार्थिक  विजय  निश्चित  है  l