एक बार पर्शिया के नागरिक बहुत परेशान हो गए , क्योंकि पक्षी उनके खेतों का अनाज खा जाया करते थे l परेशां नागरिक अपना कष्ट लेकर राजा फ्रेडरिक के पास पहुंचे l सुनकर राजा को बहुत क्रोध आया l उसने तत्काल राज्य के सभी पक्षियों को मारने की घोषणा कर दी l पक्षियों के मारे जाने पर नागरिकों ने उत्सव सा मनाया और यह सोचा कि उनकी सारी समस्याओं का अंत हो गया l लेकिन अगले वर्ष खेतों में अनाज बोने पर एक दाना भी नहीं उगा l राजा ने कारण पता लगवाया तो पता चला कि मिटटी में जो कीड़े थे , उन्होंने बीजों को ही खा लिया था l पहले इन कीड़ों को पक्षी खा जाते थे , जिससे बीज सुरक्षित रहते थे , लेकिन इस बार पक्षियों के न रहने से फसल के होने से पहले ही त्राहि - त्राहि मच गई l जब यह कारण सबको पता चला तो राजा से लेकर सामान्य नागरिक तक , हर कोई अपनी नादानी पर पछताया l उन्हें महसूस हुआ कि इस सृष्टि में सभी प्राणी एक दूसरे पर निर्भर हैं , यहाँ पर परमात्मा ने कोई भी प्राणी व्यर्थ नहीं बनाया और सभी मिलकर सृष्टि चक्र में सहयोग करते हैं l इसमें से किसी एक को भी हटाना , प्रकृति की व्यवस्था में गतिरोध पैदा करना है , जिसका दुष्परिणाम प्रत्येक को भुगतना पड़ता है l दूसरे राज्य से पक्षी बुलाए गए , तब जाकर राज्य की कृषि व्यवस्था सही हो पाई l