17 January 2023

WISDOM -----

   अपनी  प्रशंसा  सुनना  सबको   बहुत    अच्छा  लगता  है  l  राजाओं  के  दरबार  में  अनेक  चापलूस  हुआ  करते  थे  जो  राजा  की  प्रशंसा  में  गीत  गा  कर  कुछ   उपहार  पा  लेते  थे  l   एक  राजा  था   जिसके  ह्रदय  में  बहुत  गहरी  चाहत  थी  कि  लोग  उसकी  चर्चा  करें , उसकी  तारीफों  के  पुल  बांधें  l  उसके  प्रशंसक  और  भक्त  बनकर    कुछ  न  कुछ  लाभ  उठाने  के  लिए   अगणित  लोग  दरबार  में  पहुँचने  लगे  l  भीड़  बहुत  बढ़   गई   , यह  देख  राजा  भी  बहुत  हैरान  हुआ  l  उसने  विचार  किया  कि  इतने  लोग  सच्चे  शुभ चिन्तक  नहीं   हो  सकते  l  इनमे  से  असली  और  नकली  की  परख  होनी  चाहिए  l  राजा  ने  पुरोहित  से  परामर्श  कर   दूसरे  दिन  बीमार  बनने  का  बहाना  बना  लिया   और  यह  घोषणा  करा  दी  कि  जो  राजा  की  बीमारी  अपने  ऊपर  ले  लेगा  उसे  सौ  स्वर्ण  मोहरें  दी  जाएँगी  l  घोषणा  सुनकर   पूरे  राज्य  में  हलचल  मच  गई   l  एक  से  बढ़कर  एक   अपने  को  शुभचिंतक  बताने  वालों  में  से  एक  भी  दरबार  में  नहीं  पहुंचा  l  अब  राजा  को  सत्य  समझ  में  आया  कि  यह  संसार  स्वार्थी  है  l  उसके  पास  सब  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करने  आते  हैं   , उसके  दुःख  और  कष्ट  का  साथी  कोई  नहीं  है  l  इसलिए   झूठी  प्रशंसा  से  अपने  मन  को  प्रफुल्लित  करने  के   बजाय  ऐसे   सत्कर्म  करें  जिनसे  आत्मा  को  संतोष  हो  और  ईश्वर  की  कृपा  प्राप्त  हो  l