25 August 2019

WISDOM-----

  प्रतिशोध  की   आग  इतनी  तीव्र  होती  है  की  व्यक्ति उसका  परिणाम  नहीं  सोचता   l   द्रोपदी  के   चीर हरण  के  लिए  दु:शासन  उसके  केश  पकड़  कर  उसे  घसीटते  हुए   सभा  में    लाया  था  l  तभी  से  द्रोपदी  अपने  बाल  खुले  रखती  थीं  l  द्रोपदी  ने  प्रतिज्ञा  की  थी  कि  जब  तक  दु:शासन  के  खून  से  अपने  केश  नहीं  धो  लेगी  तब  तक  वह  अपने  लम्बे  सुन्दर  केश  नहीं  बांधेगी  l
  इस  घटना  के  बाद  जब  भी   कृष्ण  आते  वह  आँखों  में  आंसु  भरकर  अपने  खुले  केश  उन्हें  दिखाती  कि  कब  मेरा  प्रतिशोध  पूरा  होगा  ?  कब  इन  केशों  को  बांधूंगी  l 
 श्रीकृष्ण  द्रोपदी से कहते  हैं ---- " कृष्णा  ! तुम्हारे  खुले  बालों  की कीमत  सहस्त्रों  सैनिकों  की  बलि  नहीं  हो  सकती  l  दु:शासन   को मारने की  तुम्हारी  प्रतिज्ञा  से  मैं  बंधा  नहीं  हूँ   l  मैं  धर्म  की  संस्थापना  के  लिए  ,  अधर्म  का  निवारण  करने  आया  हूँ  l  "  श्रीकृष्ण  के  व्यक्तित्व  की  सम्पूर्णता  से  द्रोपदी  परिचित  नहीं  थी  ,  इसलिए  अपनी  सीमित  द्रष्टि  से  ही  योगेश्वर  को  देखती  थी