23 November 2020

WISDOM -----

  एक  बार  महामना  पं. मदनमोहन  मालवीय जी  के  पास   एक  धनी   सेठ  आए  l   उनके  बारे  में  प्रसिद्ध   था   कि   वे  अपना  धन   भिखारियों  में  बाँट  सकते  हैं  , पुण्यार्जन  की  दृष्टि  से   चींटियों  को  दाना  खिलाने   के  लिए   कर्मचारियों  को   ढेरों  की  संख्या  में  लगा  सकते  हैं  ,  पर  लोकमंगल  के  लिए   उन्होंने  न  कभी  कुछ  खर्च  किया  है  ,  और  न  करेंगे  l  मालवीय जी  उन  दिनों  काशी   हिंदू   विश्वविद्दालय  का  निर्माण  करा  रहे  थे  l   संयोग  से  जिस  लड़के  से  सेठ जी  की  लड़की  का  विवाह  था  ,  वह  उनका  विद्दार्थी  भी  था  l   उन्होंने  कहा   आप  विवाह  में  जो  राशि  खर्च  कर  रहे  हैं  ,  मैंने  सुना  है  वह  लाखों  में  है  l   उसके  बदले  आप  लड़के  के   नाम  कुछ  राशि  जमा  कर  दें   व  उसे  स्वावलंबी   बनने  दें  l   वह  मेहनती  है  , अपना  संसार  खुद  बना  लेगा  l   पर   जो राशि   आप  उस  प्रदर्शन   में  खर्च  करेंगे   उससे  तो  किसी  का  लाभ  नहीं  होगा  ,  आपकी  कन्या  के  लिए  विवाहोपरांत  कष्ट  का  कारण  अवश्य  बन  सकता  है  l   इस  राशि  को  आप  हमें  दहेज़  में  दे  दें   ताकि  उससे  हिंदू   विश्वविद्दालय  का   बाकी   काम  पूरा  हो  सके   l   लड़के  का  गुरु  होने  के  नाते   मैं  यह  दक्षिणा   लोकमंगल  के  लिए    आपसे  मांग  रहा  हूँ  l   उनका  कहना  भर  था  और  उस  कंजूस  सेठ  का  बदलना  l   न  केवल  आदर्श  विवाह  उन्होंने  किया  ,  कई  भवन  विश्वविद्दालय  के  लिए   बनवा  भी  दिए  l  महामना  की  साख,  उनकी  सच्चाई  और  कार्य  के  प्रति   समर्पण  और  ईमानदारी  ने  यह  चमत्कार  कर  दिया   l