4 October 2022

WISDOM ---

1.    वटवृक्ष  की  पूजा  होते  देख  रेगिस्तान  को  क्रोध  आया  l  पूजा  करते  लोगों  को  लताड़  कर  बोला --- " मूर्खों  ! एक  पेड़  की  क्या  पूजा  करते  हो  ? मुझे  देखो  ! मेरा  विस्तार  मीलों  तक  है  , उसमें  एक  नहीं  अनेकों  पेड़  समा  जाएंगे  l "  ऊपर  फैले  हुए  आसमान  ने  रेगिस्तान  को  टोक  कर  बोला  --- " अभिनन्दन  विस्तार  का  नहीं  , विशालता  का  होता  है  l  वटवृक्ष  तुमसे  विस्तार  में  छोटा  ही  सही  ,  पर  अपने  ह्रदय  की  विशालता  के  कारण   सैकड़ों  को   जीवन   और  आश्रय  प्रदान  करता  है  l  ये  पूजा  उसी  सह्रदयता  की  हो  रही  है  l  "  रेगिस्तान  का  मुंह  लज्जा  से  नीचे  झुक  गया  l  

2 .  दक्षिणेश्वर  में  माँ  काली  की  पूजा  का  आयोजन  हुआ  l  दूर -दूर  से  लोग  आए  l  पूजा  के  बाद  भोग  का  वितरण  हुआ  l  जब  सब  श्रद्धालु   अपने -अपने  घरों  को  लौट  गए  , तब  स्वामी  रामकृष्ण  परमहंस  उठे  और  लोगों  की  झूठी  पत्तलों  को  उठा -उठाकर  फेंकने  लगे  l  यह  देखकर  मंदिर  का  पुजारी  दौड़ा  आया   और  उनसे  बोला  ---- " हे  भगवन  !  ये  आप  कैसा  पाप  चढ़वाते  हैं  ?  यह  सब  काम  करने  के  लिए  तो  मजदूर  भी  हैं   l  "    रामकृष्ण  परमहंस  बोले  ---- " मैं  केवल  पत्तलों  को  नहीं  फेंक  रहा  l  मैं  तो  अपने  अहंकार  को  भी  उठाकर  फेंक  रहा  हूँ  l  भगवान  की  तरफ  जाने  वाली   सीढ़ियाँ   विनम्रता  के  ही  रास्ते  से  जाती  हैं  l  जो  विनम्रता  की  और  निरहंकारिता  की  साधना  कर  लेते  हैं , माँ  काली  उन्ही  के  ह्रदय  में  वास  करती  हैं  l  " 

WISDOM -----

   राम -रावण  युद्ध  समाप्त  हुआ  l  महाबली  रावण  के  अतिरिक्त  युद्ध  में  कुम्भकर्ण  की  भी  मृत्यु  हुई  l  कुम्भकर्ण  के  पुत्र  का  नाम  मूलकासुर   था  l  मूलकासुर   जब  बड़ा  हुआ  तो  उसके  मन  में  प्रतिशोध  की  भावना  बलवती  हुई  l  घनघोर  तपस्या  कर  उसने  अपार  शक्ति  अर्जित  कर  ली   और  वरदान  प्राप्त  किया  कि    उसकी  मृत्यु  किसी  नर  के  हाथों  नहीं  होगी  l  इसके  उपरांत  उसने  राक्षसों  और  असुरों  की  सेना  एकत्र  कर  लंका  पर  चढ़ाई  कर  दी  l  लंकापति  विभीषण  ने  अपनी  हार  प्रत्यक्ष  देख   भगवान  राम  से  सहायता  मांगी  l  मूलकासुर  को  वरदान  था  कि  वह  किसी  नर   से  पराजित  नहीं  होगा  ,  इस  स्थिति  में  भगवान  राम  ने  सीता  से  अनुरोध  किया  l  माता  सीता  ने  वहां  पहुंचकर  भगवती  का  रूप  धारण  कर   मूलकासुर  का  वध  किया  l   आदिशक्ति  के  हाथों  असुरता  का  संहार  हुआ  l