18 July 2018

WISDOM ----- सार्थक मौन उसे कहते हैं जब मन में सद्चिन्तन होता रहे

   चुप  रहकर  मन  में   ईर्ष्या - द्वेष  का  बीज  बोते  रहने  को  मौन  नहीं  कहा  जाता  l   यह  तो  और  भी  खतरनाक   व  हानिकारक    सिद्ध  हो  सकता  है   l   मौन  के  साथ  श्रेष्ठ  चिंतन  और   ईश्वर  स्मरण  आवश्यक  है  तभी  मौन  की  सार्थकता  है   l    ऐसे  सार्थक  मौन  से  आत्मशक्ति     उत्पन्न   होती  है   l   मौन  रहकर  श्रेष्ठ  चिंतन  करने  से  आंतरिक    ऊर्जा    व्यर्थ  के  नकारात्मक  विचारों   में  नष्ट  नहीं  हो     पाती   l   प्रत्येक  श्रेष्ठ  और   महान  कार्य  की   सफलता   में    गंभीर  मौन  सहायक  रहा  है   l 
  अरुणाचलम  के  महर्षि  रमण  सदैव  मौन  रहते  थे   l  बिना  बोले  वह  हरेक  की   जिज्ञासा  को  शांत  करते  और हर  कोई  उनसे  अपनी  गंभीर  समस्या  का  समाधान  अनायास  पा  जाता  था  l 
  महात्मा  गाँधी  के  मौन  का  प्रभाव  विलक्षण  और  अद्भुत  था  l   अत:  सप्ताह  में  एक  निश्चित  दिन  कुछ  घंटे  मौन  अवश्य  रहना  चाहिए   l