31 December 2020

WISDOM ------

   भरत   11  वर्ष   के सुकुमार  बालक  थे  l   उन्हें  शिक्षा - दीक्षा  उनकी  माँ  शकुंतला  ने  ही  दी  थी  l   माँ  ने  भरत  को  निरंतर  साहसी  बनने , प्राणवान - यशस्वी  बनने  की  प्रेरणा  दी  l बालक  भरत  को  माँ  से  शिक्षा  मिली  थी  कि  किसी  निरपराध  प्राणी  को  कभी  पीड़ा  नहीं  पहुँचाना  l बालक  भरत  जंगल  में  विचरण  कर  रहे  थे   उन्हें  सिंहशावकों  का  क्रंदन  सुनाई  पड़ा   l   वे  उस  दिशा  में  पहुंचे   तो  देखा  कि   पांच  भालुओं  ने   दो  सिंहशावकों  को  घेर  रखा  है  ,  जो  अपने  माता - पिता  से  बिछड़  गए  थे  l   जैसे  ही  एक  भालू  झपटा  , एक  तीर  सनसनाता  हुआ  आया  और  उनके  पास  के  शिलाखंड  को  तोड़  गया  l   यह  एक  चेतावनी  थी  l   सभी  की  निगाहें  भारत  पर  पड़ीं  l   बिना  विलम्ब  वे  सभी  भरत  पर  टूट  पड़े  l   भारत  ने  खड्ग  के  प्रहार  से  दो  भालुओं  के  शीश  धड़  से  अलग  कर  दिए  l   शेष  तीन  डर   कर  भाग  गए  l   दोनों  सिंहशावक  भरत  के  चरणों  में  लोट  गए  l   भरत  ने  दोनों  बच्चों  को  गोद   में  उठाया  ,  अपने  हृदय  से  लगाया   और  कहा --- " चलो  आज  तुम्हे  हमारी  माँ , हमारी  गुरु  के  दर्शन  कराएं  l "  जैसे  ही  पीछे  मुड़े  शावकों  के  माता - पिता  सिंह  और  सिंहनी  खड़े  थे  ,  उनकी  आँखों  में  कृतज्ञता   के  भाव  थे  l   वे  भरत  को   अपने  नन्हे  बालकों  सहित   आश्रम  तक  छोड़ने  आये  l   भरत   को  खेलने  के  लिए  दो  मित्र  मिल  गए  l   सिंह  के  दांत  गिनने  वाले   इसी  भरत के  नाम  पर  हमारा  राष्ट्र  भारतवर्ष   कहलाता  है   l 

WISDOM -----

   ' गुलामी '  एक  मानसिकता  है  l   एक  निर्धन  व्यक्ति  जिसके  पास  कुछ  भी  खोने  को  नहीं  है  ,  वह  किसी  का  गुलाम  नहीं  होता  l   उसे  तो  केवल  अपने  और  अपने  परिवार  के  भरण - पोषण  की  चिंता  होती  है  l   इसके  लिए  वह  मेहनत , मजदूरी  सब  कुछ  करने   को तैयार  होता  है  l  फिर  पेट  की  आग  और  परिवार  की  जरुरत  उससे  जो  कुछ  भी  करा  लें  !   जिसके  पास  पद - प्रतिष्ठा , धन - वैभव  सब  कुछ  है  और  उन  सबसे  बढ़कर  तृष्णा  है  ,   ऐसा   व्यक्ति सबसे  ज्यादा  भयभीत  होता  है   l   वह  हमेशा  एक  अनजाने  भय  से  घिरा  रहता  है    कि   यदि  यह  सब  नहीं  रहा  तो  उसका  क्या  होगा   ?  उसका  अहंकार , उसकी  प्रतिष्ठा  सब  कुछ  धराशायी   हो  जायेगा  l    इसी  भय  के  कारण   वह  अपने  से  शक्तिशाली  की  गुलामी  करता  है  ,  और  वह  शक्तिशाली   अपने  से  भी  ज्यादा   शक्तिशाली  की  गुलामी  करता  है  ------ यह  क्रम  चलता  रहता  है  l  वैश्वीकरण  ने  इस   श्रंखला  को  बहुत  बढ़ा   दिया   है  l   अब  सब  एक  नाव  पर  सवार  हैं  l   मनुष्य  की  इस  तृष्णा  की  वजह  से  ही  संसार  में  अशांति  है  l