17 May 2023

WISDOM ------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " जाति -पाँति , ऊँच -नीच  के  भेदभाव  को  भुलाकर   यदि  सभी  लोग   पिछड़े  रुग्ण  व्यक्तियों  की   सच्ची  सेवा  में  लग  सकें   तो  इस    धरती  पर  स्वर्ग  जैसा  वातावरण  उत्पन्न  कर  सकना  संभव  है  l  जो  शांति   किसी  योग  साधना   और  सांसारिक  वैभव   से  नहीं  मिलती  , वह   निष्काम  कर्मयोग  से  मिल  जाती  है  l   ईश्वर  को  अपनी   आराधना  कराने  की  तुलना  में   अपनी  रचना  की  आराधना  अधिक  प्रिय  है  l  "   वर्तमान  समय  में  संसार  में  जो  इतनी  अशांति  है   उसका  एक  कारण  यह  भी  है  कि   आज  लोकसेवक  तो  बहुत  है   लेकिन  सेवा  के  नाम  पर  दिखावा ,  प्रदर्शन , प्रचार -प्रसार  कर  अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करना   अधिक  है  l   इसी  सत्य  को  स्पष्ट  करने  वाली  एक  कथा  है ---- एक  समाजसेवी  ने  एक  स्कूल  खोला  l  वे  बच्चों  को  रोज  शिक्षा  देते  थे  कि  कोई  दया  का  कार्य  प्रतिदिन  अवश्य  करना  चाहिए  l  एक  दिन  उन्होंने  बच्चों  से  पूछा  की  तुमने  क्या  दयालुता  का  काम  किया  l  तीन  लड़कों  ने  हाथ  उठाया  और  कहा   हमने  एक   वृद्ध  जो  बहुत  ही  कमजोर  था  उसको  सड़क  पार  कराने  में  मदद  की  l  शिक्षक  ने  कहा  ---क्या  तुम  तीनों  ने  एक  ही  वृद्ध  को  सड़क  पार  कराने  में  मदद  की  ?  बच्चे  बहुत  भोले  होते  हैं  , उन्होंने  कहा ---- ' वृद्ध  को  सड़क  पार  जाना  तो  नहीं  था  , लेकिन  हमें  दया धर्म  का  पालन  तो  करना  था   इसलिए  हम  तीनो  उससे  चिपट  गए   और  उसका  हाथ  पकड़कर  घसीटते  ले  गए   और  सड़क  पार  करा  के  ही  माने  l ' शिक्षक  ने  अपना  माथा  पीट  लिया  , उसे  बहुत  दुःख  हुआ  लेकिन  यह  सोचकर  मन  शांत  कर  लिया  कि   दुनिया  में  लोकसेवा  के  नाम  पर   यही  विडंबना  तो  चल  रही  है  , बच्चे   गुनहगार  नहीं  हैं  l