31 August 2021

WISDOM ------ संस्कार प्रबल होते हैं , स्वभाव नहीं बदलता

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  लिखते  हैं  ----  "  शत्रु  को   आधा  कुचलकर  छोड़  देने  से   वह  प्राय:  प्रतिशोध  की  ताक   में  रहता  है   और  फिर  से  तैयार  होकर  आक्रमण  कर  सकता  है   l   आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- " दुष्ट  शत्रु  पर  दया  दिखाना   अपना  और  दूसरों  का  अहित  करना  है  l   आजकल  के  व्यवहार  शास्त्र  का   स्पष्ट  नियम  है   कि   दूसरों  को  सताने  वाले  दुष्ट जन  पर   दया  करना  ,  सज्जनों  को  दंड  देने  के  समान   है    क्योंकि  दुष्ट  तो  अपनी  स्वभावगत   क्रूरता  और   नीचता  को  छोड़  नहीं  सकता  ,  वह  जब  तक  स्वतंत्र  रहेगा   और  उसमें  शक्ति  रहेगी  ,  वह  निर्दोष  व्यक्तियों  को   सब  तरह  से  दुःख  और  कष्ट   ही  देगा   l