' ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास व्यक्ति को कठिनाइयों तथा विपत्ति की घड़ियों में भी वह धैर्य प्रदान करता है , जिसके बल पर वह प्रतिकूल परिस्थितियों को भी आसानी से सह लेता है । '
लोकमान्य तिलक को देश निकाले का दंड देकर छह वर्ष के लिए बर्मा की मांडले जेल में रहने के लिए ले जाया जा रहा था । दूसरी श्रेणी में एक बर्थ पर तिलक और उनके सामने साथ वाले दोनों सैनिक अधिकारी बैठे थे ।
रात के नौ बजे , तिलक के सोने का समय हो गया । पगड़ी , अंगरखा और दुपट्टा उतार कर सोने की तैयारी करने लगे । और पांच मिनट में ही उन्हें गहरी नींद आ गई ।
सुबह पांच बजे वे सोकर उठे । उतनी गहरी नींद लेते देखकर अधिकारियों को आश्चर्य हुआ । पूछा ---- " आप जानते हैं आपको कहाँ ले जाया जा रहा है और वहां क्या सजा दी जाएगी । फिर भी इतनी निश्चिन्तता पूर्वक कैसे सो सके ? "
तिलक ने कहा ---- " यह जानने की मुझे क्या आवश्यकता है । परिणाम को जानकर ही मैं इस क्षेत्र में आया हूँ । चिंता होती तो इस क्षेत्र में प्रविष्ट ही क्यों होता ? "
मांडले जेल में न कोई उनकी भाषा समझने वाला था , न ही कोई परिचित । उन्होंने सब तरफ से ध्यान हटाकर ' गीता ' का अध्ययन आरंभ किया और छह वर्ष में उसका एक प्रेरणाप्रद भाष्य तैयार कर दिया । लोकमान्य का ' गीता रहस्य ' उनके जेल से छुटकारे के बाद प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार आंधी - तूफान की तरह बढ़ा । भारतीय जनता को कर्तव्य पालन की प्रेरणा देने वाला महत्वपूर्ण ग्रन्थ है ।
लोकमान्य तिलक को देश निकाले का दंड देकर छह वर्ष के लिए बर्मा की मांडले जेल में रहने के लिए ले जाया जा रहा था । दूसरी श्रेणी में एक बर्थ पर तिलक और उनके सामने साथ वाले दोनों सैनिक अधिकारी बैठे थे ।
रात के नौ बजे , तिलक के सोने का समय हो गया । पगड़ी , अंगरखा और दुपट्टा उतार कर सोने की तैयारी करने लगे । और पांच मिनट में ही उन्हें गहरी नींद आ गई ।
सुबह पांच बजे वे सोकर उठे । उतनी गहरी नींद लेते देखकर अधिकारियों को आश्चर्य हुआ । पूछा ---- " आप जानते हैं आपको कहाँ ले जाया जा रहा है और वहां क्या सजा दी जाएगी । फिर भी इतनी निश्चिन्तता पूर्वक कैसे सो सके ? "
तिलक ने कहा ---- " यह जानने की मुझे क्या आवश्यकता है । परिणाम को जानकर ही मैं इस क्षेत्र में आया हूँ । चिंता होती तो इस क्षेत्र में प्रविष्ट ही क्यों होता ? "
मांडले जेल में न कोई उनकी भाषा समझने वाला था , न ही कोई परिचित । उन्होंने सब तरफ से ध्यान हटाकर ' गीता ' का अध्ययन आरंभ किया और छह वर्ष में उसका एक प्रेरणाप्रद भाष्य तैयार कर दिया । लोकमान्य का ' गीता रहस्य ' उनके जेल से छुटकारे के बाद प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार आंधी - तूफान की तरह बढ़ा । भारतीय जनता को कर्तव्य पालन की प्रेरणा देने वाला महत्वपूर्ण ग्रन्थ है ।