31 July 2022

WISDOM ----

   किसी  भी  समाज  में  अन्धविश्वास ,  अंध परम्पराएँ ,  जाति ,  धर्म  के  नाम  पर  झगड़े , बेवजह  की  मारकाट  --  ये  सब  कहीं  न  कहीं  इस  स्थिति  को     स्पष्ट  करती  हैं  कि   लोगों  के  पास  कोई  उत्पादक  कार्य  नहीं  है    और  उत्पादक  कार्य  न  होने  के  कारण  लोग  ऐसे  अनुत्पादक  कार्यों  में  उलझ  जाते  हैं    या  स्वार्थी  तत्व   उन्हें  अपने  स्वार्थ  के  लिए  इस्तेमाल  कर  लेते  हैं   l  एक  डॉक्टर , इंजीनियर ,  तकनीकी  विशेषज्ञ ,  बड़े  कलाकार   ---- जिनके  पास  पाँव   को  मजबूती  से  टिकाने  की  अपनी  जमीन  है  , वे  इन  सब  में  कभी  नहीं  उलझते   l   एक  कारण  यह  भी  है  कि   वैज्ञानिक  युग  में  रहने  के  बाद  भी  हमारी  चेतना  विकसित  नहीं  हुई  ,  स्वार्थ , लोभ , लालच , दिखावा  आदि  के  कारण   सामाजिक  कुरीतियों  को  छोड़ना  नहीं  चाहते   l  अंध -परम्पराएँ    समाज  में  कैसे   बिना  सोचे -समझे  प्रचलित  हो  जाती  हैं  ,  यह  बताने  वाली  एक  कथा  है  ------- एक  पंडित जी  थे   l  उनके  घर  के  पास  एक  गधा  रहता  था  l l  जब  पूजा  के  समय   पंडित जी  शंख  बजाते  ,  तो  गधा  भी  चिल्लाने  लगता  था  l  एक  दिन  पता  चला  कि  गधा  मर  गया  ,  सो  पंडित जी  ने  उसकी  स्मृति  में  बाल  मुढवा   लिए   l  शाम  को  वे  बनिए  की  दुकान  पर  सौदा   लेने  गए  l   बनिए  ने  पूछा  --- महाराज   !  आज  यह  सिर  घुटमुंड   कैसा   ? "  पंडित जी  ने  कहा  ---- ' अरे  भाई  !  शंखराज   की  इहलीला  समाप्त  हो  गई   l  '  बनिया  पंडित जी  का  यजमान  था   l  उसने  भी  अपना  सिर  घुटवा  लिया  l  जिसने  भी  यह  सुना  कि  पंडित जी  के  कोई  शंखराज   नहीं  रहे  , वे  अपना  सिर  घुटाते   रहे   l  एक  सिपाही  बनिए  के  यहाँ  आया  ,  उसने  तमाम  गाँव  वालों  को   सिर  मुड़ाते  देखा   l  जब  उसे  पता  चला  कि   शंखराज   जी  महाराज  नहीं  रहे    तो  उसने  भी  अपना  सिर  घुटवा  लिया   l  धीरे -धीरे  सारी  फौज  सपाट -सर  हो  गई   l  अफसरों  को  बड़ी  हैरानी  हुई   l  उन्होंने  पूछा ------- भाई  !  क्या  बात  हो  गई   ? '  पता  लगाते   लगाते   पंडित जी  के  घर   तक  पहुंचे    और  जब  मालूम  हुआ  कि  शंखराज    कोई  गधा  था    ,  तो  मारे  शर्म  के  सब  के  चेहरे    झुक  गए   l  

WISDOM ------

     अनमोल  मोती -----  जब  बाबर  ने  अमीनाबाद  को   जीतकर  अपने  राज्य  में  मिला  लिया    तो  गुरु  नानक  और  उनके  शिष्य  मरदाना  को  भी  जेल  की  हवा  खानी  पड़ी   l  बाबर  को  जब  गुरु  नानक  की  आध्यात्मिक  शक्तियों  के  बारे  में  पता  चला  तो  वह   जेल  में  उनसे  मिलने  आया   l  नानक  ने  बादशाह  को  देखकर  कहा ---  " मनुष्य  का  धर्म  तो  लोगों  की  सेवा  करना  है   और  आप  अपने  राज्य  की  प्रजा  पर  शासन  कर  रहे  हैं   l  "  थोड़े  ही  शब्दों  में    बाबर  नानक  की  बात  समझ  गए   और  अपनी  भूल  स्वीकार  करते  हुए  कहा  --- " बाबा  !  यदि  आप  कुछ  मांगना  चाहते  हैं  तो  मांग  लीजिए   l  "  गुरु  नानक  ने  कहा ---- "  राजा  से  तो  मुर्ख  मनुष्य  ही  मांगते  हैं   l  मुझे  यदि  किसी  वस्तु  की  आवश्यकता  होगी  तो   ईश्वर  से  मांगूंगा   l    देने  वाला  तो  दाता  ईश्वर  है    जो    राजाओं  तक  को  देता  है   l  "  इतना  सुनकर  बाबर  ने  कहा  ---- " तो  आप  ही  मुझे  कुछ  प्रदान  कीजिए  l  "   तब  नानक  ने  एक  उपदेश  दिया ---- "  बाबर  !  इस  संसार  में  किसी  भी  वस्तु  का  स्थायित्व  नहीं  है   l  ध्यान  रखो  !  आपका  शासन  या  आपके  पुत्रों  का  शासन  भी  तब  तक  चलेगा   जब  तक  उसका  आधार  प्रेम  और  न्याय  बना  रहेगा   l   पर  धर्म  का  स्थायित्व  तो   हर  क्षण  और  हर  घड़ी  है  ,  इसलिए  तू  जीवन  में  धार्मिकता  का  समावेश  कर   l  "  इस  उपदेश  से  बाबर  के  जीवन  की  दिशा  ही  बदल  गई   l