30 November 2021

WISDOM -----

   हमारे  महाकाव्य  हमें  बहुत  कुछ  सिखाते  हैं   l   विशेष  रूप  से   वर्तमान  की  जो  बहुत  बड़ी  समस्या  है            ' तनाव '  उससे  कैसे  मुक्त  रहा  जाये  ,  इस  बात  की  शिक्षा  भी  हमें  महाभारत  से  मिलती  है   l --- महाभारत  का  प्रसंग  है  -- जब  महाभारत  का  युद्ध  समाप्त   हुआ  ,  वह  दृश्य  बहुत  हृदय विदारक  था  ,  चारों  ओर   मौत  का  सन्नाटा  था ,   बच्चे  अनाथ  और  वृद्ध  निराश्रित  थे ,  ,घायल कराह  रहे  थे  ,  विधवाओं  का  विलाप   --यह   सब महारानी  द्रोपदी  के  लिए  असहनीय  था  ,  उसका  मन  अशांत  था  l   भगवान  कृष्ण  आये   तो  उसने  रो -रोकर  अपनी  मानसिक  व्यथा  उनसे  कही   तब  भगवान  ने  कहा  --- द्रोपदी  !  चीर -हरण  के  बाद  तुम्हारे  दिल  में  बदले  की  आग  थी  ,  तुमने  अपने  केश  खुले  रखे  थे  कि   दुशासन  के  रक्त  से  केश  धोकर  ही  तुम  अपने  केश   सँवारोगी  l  तुम  बदले  की  आग   अपने  हृदय  में  रखे  रहीं  ,   और  वह  बदला  पूर्ण  हुआ  , उसी  का  यह  परिणाम  है  l  द्रोपदी  बहुत  विकल  थी  ,  उसका  जो  अपमान  हुआ  वह  असहनीय  था  l   भगवान  ने  उसे  समझाया  ---   महाभारत  तो  विधि  का  विधान  था  ,  वह  तो  होना  ही  था  l हर  किसी  को  अपने  कर्मों  का  फल  मिलता  है   l   कौरवों  ने  जो  पाप  किये  उन्हें  उसका  दंड  तो  मिलना  ही  था  ,  तुमने  व्यर्थ  ही   बदले  का  भाव  अपने  दिल  में  रख  कर   तनाव  मोल  ले  लिया   l --  इस   प्रसंग   का  यही  शिक्षण  है  कि   जीवन  के  सफर  में   सब  को  परिवार  में  या  परिवार  के  बाहर  ऐसे   व्यक्ति  मिलते  हैं  जिनके  कारण   बहुत  कष्ट , दुःख  और  अपमान  अनुभव  होते  है  l   अपनी  मानसिकता  के  अनुसार  कोई   व्यक्ति स्वयं  बदला  लेते  हैं ,  जो  स्वयं  बदला  नहीं  लेते  वे  ईश्वर  से  उन्हें  दंड  देने  की  प्रार्थना  करते  हैं  l  दोनों  ही  स्थिति  में  पीड़ित  व्यक्ति  की  पूरी  ऊर्जा  इस  नकारात्मक  दिशा  में  लग  जाती  है  l   जीवन  के  बहुमूल्य  वर्ष   इसी  आग  में  झुलसते  हुए  बीत  जाते  हैं  l   यदि  हमें  तनाव  मुक्त  रहना  है   तो   बदले  की  भावना  अपने  मन  में  न  रखें ,  अपनी  ऊर्जा  अपना  जीवन  संवारने  में  लगाएं  ,  कर्म  के  सिद्धांत  में  विश्वास  रखें   ,  जिसने  जैसा  किया  है  ,  उसे  उसका  दंड  अवश्य  मिलेगा  ,  हम  अपने  मन  को  मैला  न  करें   l