विज्ञान ने मनुष्य को किस स्थिति में पहुंचा दिया l भ्रष्टाचार , बेईमानी , कर्तव्यपालन में लापरवाही , बच्चों के प्रति होने वाले अपराध , मानव तस्करी , जात - पांत , धार्मिक भेदभाव आदि अनेक समस्याएं वैसे ही समाज को पीड़ित किये थीं , उस पर से इस महामारी ने मनुष्य का मनुष्य पर से विश्वास खत्म कर दिया l परस्पर प्रेम और भाईचारा तो पहले भी नहीं था , लोग स्वार्थवश एक - दूसरे के साथ खड़े होते थे लेकिन अब दूरी जरुरी है l जाति , धर्म का कोई भेद नहीं , सबसे दूरी जरुरी है l कोई भी कार्य करने में यदि भावनाएं पवित्र नहीं हैं और कर्तव्यपालन में ईमानदारी नहीं है तो उसके परिणाम सम्पूर्ण समाज के लिए दुखदायी होंगे l विज्ञान के साथ यदि परिष्कृत भावनाएं जुड़ जाएँ तो उसके आविष्कार सम्पूर्ण संसार में खुशहाली ला देंगे , चारों तरफ हँसी - ख़ुशी और बच्चों की किलकारियां गूंजेंगी l लेकिन यदि इन आविष्कारों का उद्देश्य सबको भयभीत करना , अपने नियंत्रण में रखना है तो उसका परिणाम मौत का सन्नाटा ही होता है l
अब मनुष्य को स्वयं चयन करना है कि उसे सीधा - सरल , सादगी का जीवन पसंद है या आधुनिकता की अंधी दौड़ पसंद है l
अब मनुष्य को स्वयं चयन करना है कि उसे सीधा - सरल , सादगी का जीवन पसंद है या आधुनिकता की अंधी दौड़ पसंद है l