8 May 2020

WISDOM -------

   विज्ञान   ने  मनुष्य  को  किस  स्थिति  में  पहुंचा  दिया  l   भ्रष्टाचार , बेईमानी , कर्तव्यपालन  में  लापरवाही  ,  बच्चों  के  प्रति  होने  वाले  अपराध , मानव तस्करी ,  जात  - पांत , धार्मिक  भेदभाव    आदि  अनेक  समस्याएं   वैसे  ही  समाज  को  पीड़ित  किये  थीं ,  उस  पर  से  इस  महामारी  ने  मनुष्य  का  मनुष्य  पर  से  विश्वास  खत्म   कर  दिया  l   परस्पर  प्रेम  और  भाईचारा  तो  पहले  भी  नहीं  था  ,  लोग  स्वार्थवश  एक - दूसरे  के  साथ  खड़े  होते  थे   लेकिन  अब  दूरी   जरुरी  है   l   जाति ,  धर्म  का  कोई  भेद  नहीं  ,  सबसे  दूरी   जरुरी  है   l   कोई  भी  कार्य  करने  में  यदि  भावनाएं  पवित्र  नहीं  हैं  और  कर्तव्यपालन  में  ईमानदारी  नहीं  है   तो  उसके  परिणाम  सम्पूर्ण  समाज  के  लिए  दुखदायी  होंगे  l   विज्ञान   के  साथ  यदि  परिष्कृत  भावनाएं  जुड़  जाएँ  तो  उसके   आविष्कार   सम्पूर्ण  संसार  में  खुशहाली  ला  देंगे  ,  चारों  तरफ  हँसी - ख़ुशी  और    बच्चों  की  किलकारियां   गूंजेंगी  l   लेकिन  यदि  इन  आविष्कारों  का  उद्देश्य   सबको  भयभीत  करना ,  अपने  नियंत्रण  में  रखना  है    तो    उसका  परिणाम   मौत  का  सन्नाटा  ही  होता  है  l
  अब    मनुष्य  को  स्वयं  चयन  करना  है  कि   उसे   सीधा - सरल  , सादगी  का  जीवन  पसंद  है   या   आधुनिकता  की  अंधी  दौड़  पसंद  है   l 

WISDOM ------ संसार की अधिकांश समस्याओं का एकमात्र कारण मनुष्य की संवेदनहीनता है

  आज  मनुष्य   के   लोभ - लालच  और  स्वार्थ   ने  उसे  संवेदनहीन  बना  दिया  है  l   विकास  के  नाम  पर  जो  सुविधाएँ  मिली  हैं   उनका  उपयोग    लोगों  की  मदद  करने  के  लिए  नहीं   वरन  मुसीबत  में  घिरे  लोगों  का    वीडिओ   बनाने , फोटो  खींचने   आदि  विभिन्न  तरीकों  से  पैसा  कमाने  के  लिए  किया  जाता  है  l  संवेदनहीनता  ने  मनुष्य  को  पशु  से  भी  निम्न  स्तर  पर  ला  दिया  है  l
प्राचीन  समय  में  गुरुकुल  में   राजा  हो  या  रंक   सबको  बिना  किसी  भेदभाव  के  शिक्षा  दी  जाती  थी   और  वहां  के  वातावरण  में  रहकर  बच्चे  सत्य , न्याय , कर्तव्यपालन , संवेदनशीलता  आदि   मानवीय  गुणों  से  संपन्न  हो  जाते  थे   लेकिन  वर्तमान  शिक्षा  ----- ?
  एक  कथा  है ----   एक  राजा  का  पुत्र  अत्यंत  दुष्ट  स्वभाव   का  था  l   राजा  ने  उसे  सुधारने  का  बहुत  यत्न    किया   परन्तु  सारे  प्रयास   विफल  ही  सिद्ध  हुए  l  सभी  उसके  उत्पातों  से  परेशान    रहते  थे  l  कुलगुरु  को  जब  इस  सन्दर्भ  में  ज्ञात  हुआ   तो  वे  राजकुमार  से  मिलने  गए  l   वे  उसे  राजवन   में  घुमाते   हुए   एक  नीम  के  वृक्ष  के  पास  ले  गए   और  उसका  एक  पत्ता  तोड़कर  राजकुमार  को  चखने  को  दिया  l   राजकुमार  का  मुंह  पत्ता  चखने  से   कड़ुआहट   से  भर  गया  l   उसने  कुलगुरु  से  तो  कुछ  नहीं  कहा  ,  परन्तु  उसने  क्रोधित  होते  हुए   सेवकों  को  बुलाकर   उन्हें  आदेश  दिया  कि   वे  उस  पेड़  को  जड़  से   उखाड़  डालें  l   कुलगुरु  ने  पूछा --' उसने  ऐसा  क्यों  किया  ? '
राजकुमार  ने  उत्तर  दिया  --- " गुरुवर  ! यह  पेड़  इतना  कड़ुआ   है  ,  इसका  कड़ुआपन   अनेकों  तक  पहुँचता  ,  इसलिए  मैंने  इसे  सदा  के  लिए   नष्ट  कर  दिया  l  " 
कुलगुरु  बोले  --- " वत्स  !  जो  प्रजा  तुम्हारे  व्यवहार  के  कड़ुएपन   से  दुःखी  है  ,  यदि  वह  भी  प्रत्युत्तर  में  ऐसा  ही  व्यवहार  तुम्हारे  साथ  करे   तो  तुम्हे  कैसा  लगेगा  ? "  राजकुमार  को  अपनी  भूल  का  एहसास  हुआ   और  उसने  अपना  व्यवहार  सदा  के  लिए  बदल  दिया  l