10 August 2020

WISDOM -----

   भगवान  बुद्ध  पहले  ऐसे  महायोगी  थे  , जिनके  भिक्षुओं  में   राजकुमारों  एवं   राजाओं   की  संख्या  बहुलता  से  थी  l   उन्होंने  इन  सबको   पार्थिव  ऐश्वर्य  से  एक  बड़े   ऐश्वर्य  के   दर्शन  कराये  थे  l   बड़ी  चीज   मिल जाने  पर   छोटी  चीज  छूट  जाती  है  l 

 जीवन  भर  भटके  हुए  लोगों  को   सन्मार्ग  दिखाने   वाले  भगवान  बुद्ध  मृत्युशैया  पर  थे  l  सुभद्र  नामक परिव्राजक   ने  जब  सुना  कि   बुद्ध  जैसे  महापुरुष  का  अवसान   होने  जा  रहा  है   और  मैंने  अपने  अहंकार  के  कारण   आज  तक   अपनी  शंकाओं  का  निवारण  नहीं  किया  l   ऐसा  अवसर  , ऐसे  महापुरुष  का  अवतरण  अब  कब  होगा  l   वह  शालिवन    पहुंचा   और  आनंद  से  कहा ---- "  मेरे हृदय  में   धर्म  संबंधी   शंकाएं  हैं  ,  यदि  अब   न मिटीं   तो  कभी  नहीं  मिट  सकेंगी  l  "  आनंद  ने  कहा ---- " वे  निर्वाणशैया  पर  हैं  , अब  उन्हें  कष्ट  मत  दो  l  "  इस  पर  सुभद्र  ने   कहा  ---- "  अच्छा  मुझे  दर्शन  कर  लेने  दो  l "  आनंद  ने  मना  कर  दिया  l   संवाद  बुद्ध  के  कानों  तक  पहुंचा  l   करुणानिधान   भगवान  बुद्ध  बोले --- " आनंद  सुभद्र  को  मत  रोको  ,  आने  दो , वह  ज्ञान प्राप्ति  के  लिए  आया  है  l    l "  सुभद्र  ने  पहली  बार  उनके  दर्शन  किये  और  कहा --- " भंते  !  मैं  धर्मसंघ     की  शरण  में  आना  चाहता  हूँ  , आप  आज्ञा  दें   ल मुझे  भिक्षु   बना लें  l "  बुद्ध  ने  आनंद  से  कहा --- " इसे  अभी  प्रव्रज्या  में  दीक्षित  करो  l  '  और  उसे  अंतिम  उपदेश  दिया  l   सुभद्र  भगवान   बुद्ध  का  अंतिम  शिष्य  था  l  मृत्यु  निकट  है ,  यह  जानकर  भी  जो  परोपकार  से  मुख  न  मोड़े ,  वही  सच्चा  , आत्मज्ञानी   महापुरुष  है  l