1 June 2022

WISDOM ----

   लघु -कथा ----  एक  व्यक्ति  का  स्वभाव  बहुत  क्रोधी  था , हमेशा  पत्नी  और  बचों  को  डांटता  रहता  था  l  एक  दिन  एक  पंडित जी  उनके  घर  आए  ,जो  उसके  स्वभाव  से  परिचित  थे   l  उस  व्यक्ति  ने  पंडित जी  से  पूछा --- " मैं  व्यापर  कर  रहा  हूँ ,  उसमे  लाभ  होगा  या  नहीं  l "  पंडित जी  ने  कहा --- " लाभ -हानि  की  बात  छोडो ,  तुम  पर  अभी  बहुत  क्रूर  ग्रह  हैं   l  एक  सप्ताह  में  तुम्हारी  मृत्यु  का  योग  है   l  "  यह  सुनकर  वह  घबरा  गया   और  पंडित जी  से  उपाय  पूछा  l    पंडित जी  ने  कहा --- " दान -पुण्य  करो ,  माता - पिता  की  सेवा  करो ,  बच्चों  को  प्यार  करो , गरीब  और  अशक्त  लोगों  की  मदद  करो   l  सबकी  प्रार्थना  और  आशीर्वाद  से   ग्रह   टल  सकते  हैं  l  दुआ  में  बहुत  शक्ति  होती  है  l  "  यह  सुनकर  सबसे  पहले  वह  उन  स्थानों  पर  गया   जहाँ  जरूरतमंद  बैठे  थे  ,  उनको  अपनी  सामर्थ्य  के  अनुसार  दान  किया  l  बच्चों  को  प्यार  से  खाना  खिलाया ,  उन्हें  उनकी  जरुरत  का  समान  खरीदकर  दिया   l  माता -पिता  के  पास  बैठकर  उनका   मन  का हाल  जाना  l  पत्नी  के  साथ  घर  के  कार्य  में  सहयोग  किया  l  उसे  भी  उस  दिन  बहुत  अच्छा  लगा  l  तीन  दिन  बीत  गए  ,  घर  के   सब  सदस्य   खुश  थे  और  ईश्वर  से  उसके  स्वस्थ  होने  की  कामना  कर  रहे  थे  l  घर  का  वातावरण  ही  बदल  गया  l  मंदिर  पहुंचा  तो   पंडित  ने  कहा --- "  माता -पिता  के  आशीर्वाद  और  परिवार  के  सब  सदस्यों  की  प्रार्थना  से  ग्रह  टल  गए  ,  अब  तुम  ऐसे  ही  ठीक  तरह  से  रहो  l  

WISDOM --------

       आज  संसार  में  इतनी  अशांति  , इतना  तनाव  इसलिए  है   क्योंकि  लोग  ईश्वर  को  भूल  गए  हैं   l   अब  लोग  विभिन्न  कर्मकांड  कर  के  अपने  आस्तिक  होने  का  दावा  तो  करते  हैं    लेकिन  सच  तो  यह  है  कि  ईश्वर   की  शक्ति  का  लोगों  को  एहसास  ही  नहीं  है  ,  वे  उसे  अपनी  स्वार्थ पूर्ति  का  साधन  समझते  हैं   l   मनुष्य  के  इस  अहंकार  से  प्रकृति  नाराज  हो  जाती  है   और  प्रकृति  का  क्रोध  हमें  संसार  में  विभिन्न  रूपों  में  दिखाई  पड़ता  है   l   एक  कथा  है ----  एक  व्यक्ति  एक  मंदिर  में  बहुत  जोर -जोर  से  रामायण  पाठ  कर  रहा  था   l  एक  संत  बैठे  सुन  रहे  थे   और  बहुत  प्रसन्न  हो  रहे  थे   कि  इस  समय  भी  ऐसे  भक्त  हैं   l  जब  वह  पाठ  कर  के  उठा  तो  संत  ने  पूछा  --- "  बेटा  !  क्या  रोज  पाठ  करते  हो  ?  '  उसने  चरण  छूकर  कहा --- "  नहीं  महाराज  ,  रोज  तो  समय  नहीं  मिलता  ,  मंगलवार  को  करता  हूँ l  आज  कचहरी  में  पेशी  है  ,  जल्दी  में  हूँ ,  आकर  बात  करूँगा  l  "  संत  ने  पूछा --- "  कचहरी  में , क्या  किसी  से  कोई  मुकदमा  चल  रहा  है   ? "  वह  बोला  --- " हाँ ,  असल  में  मेरा  भाई  है न  ,  उस  दुष्ट  ने  मेरी   चार  गज  जमीन  दबा  ली  ,  आज  उसकी  पेशी  है  l  जीत  गया  तो  शाम  को  प्रसाद  बांटूंगा  l  "  यह  कहकर  वह  तो  चला  गया  ,  पर  संत  ने  अपना  माथा  पीट  लिया   l  रामायण  का  पाठ  कर  रहा  है ,  भगवान  श्रीराम  का  चरित्र  पढ़  रहा  है   और  भाई  पर  चार  गज  जमीन  के  लिए  मुकदमा  l  क्या  लाभ  है    ऐसी  भक्ति  से   ? दिखावा  है  l