लघु -कथा ---- एक व्यक्ति का स्वभाव बहुत क्रोधी था , हमेशा पत्नी और बचों को डांटता रहता था l एक दिन एक पंडित जी उनके घर आए ,जो उसके स्वभाव से परिचित थे l उस व्यक्ति ने पंडित जी से पूछा --- " मैं व्यापर कर रहा हूँ , उसमे लाभ होगा या नहीं l " पंडित जी ने कहा --- " लाभ -हानि की बात छोडो , तुम पर अभी बहुत क्रूर ग्रह हैं l एक सप्ताह में तुम्हारी मृत्यु का योग है l " यह सुनकर वह घबरा गया और पंडित जी से उपाय पूछा l पंडित जी ने कहा --- " दान -पुण्य करो , माता - पिता की सेवा करो , बच्चों को प्यार करो , गरीब और अशक्त लोगों की मदद करो l सबकी प्रार्थना और आशीर्वाद से ग्रह टल सकते हैं l दुआ में बहुत शक्ति होती है l " यह सुनकर सबसे पहले वह उन स्थानों पर गया जहाँ जरूरतमंद बैठे थे , उनको अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान किया l बच्चों को प्यार से खाना खिलाया , उन्हें उनकी जरुरत का समान खरीदकर दिया l माता -पिता के पास बैठकर उनका मन का हाल जाना l पत्नी के साथ घर के कार्य में सहयोग किया l उसे भी उस दिन बहुत अच्छा लगा l तीन दिन बीत गए , घर के सब सदस्य खुश थे और ईश्वर से उसके स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे l घर का वातावरण ही बदल गया l मंदिर पहुंचा तो पंडित ने कहा --- " माता -पिता के आशीर्वाद और परिवार के सब सदस्यों की प्रार्थना से ग्रह टल गए , अब तुम ऐसे ही ठीक तरह से रहो l
1 June 2022
WISDOM --------
आज संसार में इतनी अशांति , इतना तनाव इसलिए है क्योंकि लोग ईश्वर को भूल गए हैं l अब लोग विभिन्न कर्मकांड कर के अपने आस्तिक होने का दावा तो करते हैं लेकिन सच तो यह है कि ईश्वर की शक्ति का लोगों को एहसास ही नहीं है , वे उसे अपनी स्वार्थ पूर्ति का साधन समझते हैं l मनुष्य के इस अहंकार से प्रकृति नाराज हो जाती है और प्रकृति का क्रोध हमें संसार में विभिन्न रूपों में दिखाई पड़ता है l एक कथा है ---- एक व्यक्ति एक मंदिर में बहुत जोर -जोर से रामायण पाठ कर रहा था l एक संत बैठे सुन रहे थे और बहुत प्रसन्न हो रहे थे कि इस समय भी ऐसे भक्त हैं l जब वह पाठ कर के उठा तो संत ने पूछा --- " बेटा ! क्या रोज पाठ करते हो ? ' उसने चरण छूकर कहा --- " नहीं महाराज , रोज तो समय नहीं मिलता , मंगलवार को करता हूँ l आज कचहरी में पेशी है , जल्दी में हूँ , आकर बात करूँगा l " संत ने पूछा --- " कचहरी में , क्या किसी से कोई मुकदमा चल रहा है ? " वह बोला --- " हाँ , असल में मेरा भाई है न , उस दुष्ट ने मेरी चार गज जमीन दबा ली , आज उसकी पेशी है l जीत गया तो शाम को प्रसाद बांटूंगा l " यह कहकर वह तो चला गया , पर संत ने अपना माथा पीट लिया l रामायण का पाठ कर रहा है , भगवान श्रीराम का चरित्र पढ़ रहा है और भाई पर चार गज जमीन के लिए मुकदमा l क्या लाभ है ऐसी भक्ति से ? दिखावा है l