12 October 2023

WISDOM -----

 एक  अनपढ़  किसान  ने  अपने  गुरु  से दीक्षा  ली  l  गुरु  ने  मन्त्र  दिया --- ' ॐ  लक्ष्मीपतये  नम:  l ' किसान  ने  भक्ति  और  श्रद्धा  के  साथ  इस  मन्त्र  को  रट  कर  जप  आरम्भ  कर  दिया  , किन्तु  अनपढ़  होने  के  कारण  वह  मूल  मन्त्र  भूलकर  ' ॐ  लछमनये  मय:  '  जप  करने  लगा  l  एक  दिन  भगवान  विष्णु  लक्ष्मी  जी  के  साथ  वहां  से  विचरण  करते  हुए  निकले  l  अशुद्ध  जप  करते  देख  लक्ष्मी जी  किसान  के  पास  जाकर  पूछने  लगीं  --" तुम  किसका  जप  कर  रहे  हो  l  किसान  मुंह  से  शब्द  तो  रट  रहा  था  ,  पर  ध्यान  में  उसके  भगवान  बस  रहे  थे  l  उसे  लक्ष्मी जी  के  शब्द  सुनाई  नहीं  पड़े  l  लक्ष्मी जी  के  कई  बार  टोकने  से  किसान  का  ध्यान  भंग  हो  गया  ,  खीजकर  उसने  उत्तर  दिया  --" तुम्हारे  पति  का  ध्यान  कर  रहा  हूँ  l  बोलो  क्या  करोगी  ? '  लक्ष्मी  जी  अपने  स्वामी  के  प्रति  उसकी  भक्ति  से  बहुत  प्रसन्न  हुईं  और  किसान  को  धन -धान्य  से  परिपूर्ण  कर  दिया  l  नारद जी  ने  एक  दिन  इसी  प्रसंग   का  विवरण  देकर  भगवान  से  लक्ष्मी जी  की  शिकायत  की   तो  भगवान  बोले  ---- "  नारद  !  हमारे  यहाँ  शब्दजाल  का  उतना  महत्त्व  नहीं  है   जितना  भावना  का  है  l  किसान  की   भावना  निर्दोष  थी  ,  फिर  उसे  लक्ष्मी जी  ने  वरदान  दिया  तो  क्या  हुआ  l  "