14 April 2023

WISDOM -----

   महाभारत  एक  ऐसा  महायुद्ध  था  जिसके  लिए  कहा  जाता  है  ---' न  भूतो  , न  भविष्यति  l '  उस  युग  में  अनीति  और  अत्याचार  अपनी  चरम सीमा  पर  था  l  महाभारत  की  यह  कथा  हमें  बताती  है  कि  अत्याचारी  कभी  अकेला  नहीं  होता  , अनेक  समर्थ  और  बुद्धिमान  लोग  सुख -वैभव  का  जीने  की  लालसा  में  उसके  साथ  होते  हैं  , उन्हीं  की   दम    पर  अत्याचार   फलता -फूलता  है  l  यदि  भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कृपाचार्य    ---- दुर्योधन  का  साथ  देने  से  इनकार  कर  देते   तो  महाभारत  का  युद्ध  टल  सकता  था  ,  लेकिन  आरम्भ  से  ही  उन्होंने  दुर्योधन  की  गलत  नीतियों  का  साथ  दिया  l  ये  सब  ज्ञानी  थे  ,  धर्म , अधर्म , नीति  अनीति  का  उन्हें  ज्ञान  था   और  जानते  भी  थे   कि   पांडवों  के  विरुद्ध  दुर्योधन  जो  षड्यंत्र  रचता  है  , उनका  मौन  रहकर  समर्थन  करने  से  उनका  भी  दर्दनाक  अंत  होगा  l  सब  जानते  हुए  भी   वे  दुर्योधन  के  ही  पक्ष  में  रहे  l  कहते  हैं  कि  दुर्योधन  को  सबसे  ज्यादा  कर्ण  पर  विश्वास  था  ,  यदि  कर्ण   , दुर्योधन  का  साथ  नहीं  देता  तो  यह  युद्ध  नहीं  होता  l  लेकिन  युद्ध  होना  ' दैवीय  विधान  '  था  l  उस  समय   अनीति , अत्याचार , छल , कपट , षड्यंत्र  आदि  बुराइयाँ  राजपरिवारों  तक   सीमित  थीं  ,  लेकिन  अब  ये  जन -जन  में  व्याप्त  हैं  l  इसलिए  अब  स्थिति  भयावह  है  l स्वार्थ , लालच , महत्वाकांक्षा   की  अति  है   l  हर  व्यक्ति  सोचता  है  कि  उसकी  दुकान  चलती  रहे , संसार  से  क्या  लेना -देना  ?   लेकिन   एक ' तीसरी  आँख  '  है  ,  जिसे  हर  पल  की  खबर  है  l  ईश्वर  स्वयं  किसी  को  दंड  नहीं  देते , बस !  उसके  कर्मानुसार  उसे  सद्बुद्धि  या  दुर्बुद्धि  दे  देते  हैं   l  व्यक्ति  स्वयं  अपनी    राह   चुनता  है   और  उसके  अनुरूप  परिणाम  प्राप्त  करता  है  l