10 February 2024

WISDOM ------

   1 . दिन  का  अधिकांश  समय   एक  बच्चा  एकांत  में  बिताता  l  न  खाने  में  कोई  तर्क , न  बाहर  निकलने  की  इच्छा  l  कहीं  जाता   तो  शीघ्र  ही  अपनी  राह  लौट  आता  l  पिता  को  चिंता  हुई  l  एक  दिन  पूछ  ही  लिया  --- "  बेटा  !  आजकल  काम -धंधा   कुछ  नहीं  करते  l  कुछ  कष्ट  रहता  है  क्या   ? "  बेटे  ने  विनीत  भाव  से  उत्तर  दिया  ---- " पिताजी  !  आप  ही  तो  कहते  हैं  , मनुष्य  को  शांति  का  जीवन  बिताना  चाहिए   l "  पिता  ने  हँसकर  कहा ---- "बेटे !  चुपचाप  पड़े  रहने  का  नाम  शांति  नहीं  है  l  कैसी  भी  स्थिति  हो  धैर्य  रखकर  , अनिवार्य  दुःखों   को  स्वयं  वीरता  पूर्वक  झेलता  हुआ  भी   उद्विग्न  न  हो   उसे  शांति  कहते  हैं   l "                                                

2.  राजा  भोज  ने  नगरवासियों  को  एक  सार्वजनिक  भोज  दिया  l  लाखों  लोग  भांति -भांति  के  पकवानों -मिष्टान्न  खाकर  तृप्त  हुए  l  अपनी  उदारता  की  चर्चा  व  प्रशंसा  सुनकर   राजा  का  सीना   गर्व  से  फूल  गया  l  शाम  को  एक   लकड़हारा    सिर  पर  लकड़ी  का  गट्ठर  लिए   उन्हें  नगर  के  द्वार  पर  मिला  , उन्होंने  उससे  पूछा  ---- " क्या  तुम्हे  पता  नहीं  था  कि  राजा  भोज  ने  आज   सार्वजनिक  भोज  दिया  है  अन्यथा  तुम्हे   यह  श्रम  क्यों  करना  पड़ता  ?  "   लकड़हारा  बोला ---- "नहीं ,  मुझे  पूरी  तरह  पता  था  ,  पर  जो  परिश्रम  की  कमाई  खा  सकता  है  , उसे  राजा  भोज  के  सार्वजनिक  भोज  से  क्या  लेना -देना  ?  परिश्रम  की  रुखी  रोटी  का  आनंद   मुफ्त  के  पकवानों  में  कहाँ  ? "  ' श्रम  और  पसीने  से  उपार्जित  जीविका  से  जो  आत्मगौरव  जुड़ा  है  , उसका  आनंद    इन   व्यंजनों  से  अधिक  है  l