काका कालेलकर से किसी विदेशी ने पूछा ---- " गांधीजी का देश के हर वर्ग पर इतना प्रभाव किन कारणों से पड़ा है ? " काका ने कहा ---- " गांधीजी अपने साथ संयम की कड़ाई बरतते हैं l जो मन में है , वही वाणी से कहते हैं और अपने क्रिया - कलापों को सार्वजनिक हित में लगाये रहते हैं l वे वही कहते हैं , जो करते हैं इसलिए वे विश्व भर में असंख्यों के लिए अनुकरणीय हैं l "
गांधीजी के आश्रम में जब ' नमक सत्याग्रह शुरू हुआ तो लोगों ने गांधीजी से कहा आप चुपचाप शांति से बैठे रहिये और लोगों को हुक्म दीजिये l सब लोग जेल जा सकते हैं , नमक बना सकते हैं l गांधीजी ने कहा --- ऐसा नहीं हो सकता l जो लोग साबरमती आश्रम में रहते हैं , उन आश्रम वासियों का सबसे पहले नम्बर है l उन्होंने सबसे पहले अपना नाम लिखाया l गाँधी के आश्रम में जो उन्नीस आदमी थे , उनको लेकर और आश्रम में ताला डालकर गांधीजी अपने साथियों को लेकर नमक बनाने के लिए रवाना हो गए और वहां से जेल चले गए l उनके जेल जाने के बाद जो आग फैली तो एक -एक बच्चा , जन सेवक सभी जेल जाने को तैयार हो गए l यह प्रभाव उनके व्याख्यानों का नहीं था l त्याग के लिए गांधीजी का स्वयं को प्रस्तुत करने का था l बिना कोई व्याख्यान दिए , बिना कोई प्रवचन दिए , बिना किसी सम्मलेन को बुलाये , कितने सारे लोग जेल चले गए l गांधीजी के उस साहस को , उस त्याग को देखकर लोग समझ गए कि गांधीजी की कथनी और करनी एक है l
गांधीजी के आश्रम में जब ' नमक सत्याग्रह शुरू हुआ तो लोगों ने गांधीजी से कहा आप चुपचाप शांति से बैठे रहिये और लोगों को हुक्म दीजिये l सब लोग जेल जा सकते हैं , नमक बना सकते हैं l गांधीजी ने कहा --- ऐसा नहीं हो सकता l जो लोग साबरमती आश्रम में रहते हैं , उन आश्रम वासियों का सबसे पहले नम्बर है l उन्होंने सबसे पहले अपना नाम लिखाया l गाँधी के आश्रम में जो उन्नीस आदमी थे , उनको लेकर और आश्रम में ताला डालकर गांधीजी अपने साथियों को लेकर नमक बनाने के लिए रवाना हो गए और वहां से जेल चले गए l उनके जेल जाने के बाद जो आग फैली तो एक -एक बच्चा , जन सेवक सभी जेल जाने को तैयार हो गए l यह प्रभाव उनके व्याख्यानों का नहीं था l त्याग के लिए गांधीजी का स्वयं को प्रस्तुत करने का था l बिना कोई व्याख्यान दिए , बिना कोई प्रवचन दिए , बिना किसी सम्मलेन को बुलाये , कितने सारे लोग जेल चले गए l गांधीजी के उस साहस को , उस त्याग को देखकर लोग समझ गए कि गांधीजी की कथनी और करनी एक है l