9 September 2019

WISDOM -------- प्रगति / विकृति

   अनंत  ब्रह्मांड  पर  आधिपत्य  जमाने  की  मनुष्य  की  व्यर्थ  चेष्टा  पर  उसे  चेताते  हुए   प्रसिद्ध  साहित्यकार  बंट्रेंड  रसेल  ने  लिखा  है ----- " अच्छा  होता  हम  अपनी  धरती  ही  सुधारते  और  बेचारे  चंद्रमा  को  उसके  भाग्य  पर  छोड़  देते  l  अभी  तक  हमारी  मूर्खताएं  धरती  तक  ही    सीमित   रही  हैं  l  उन्हें   ब्रह्मांडव्यापी बनाने  में  मुझे   कोई  ऐसी  बात  प्रतीत  नहीं  होती ,  जिस  पर  विजयोत्सव  मनाया  जाये   l   चंद्रमा  पर मनुष्य  पहुँच  गया  तो  क्या  ?  यदि  हम  धरती  को  ही   सुखी  नहीं  बना  पाए   तो यह  प्रगति  बेमानी  है   l   "
 प्रगति    के  नाम  पर  आज  विकृति  को  अपने  जीवन  का  लक्ष्य  बनाये  चल  रहे  इनसान  के  लिए  बंट्रेंड  रसेल  की  ये  पंक्तियाँ  आज  भी  बहुत  सार्थक  प्रतीत  होती  हैं  l
वर्तमान  की  दुर्भाग्यपूर्ण  स्थिति  को   पं.  श्रीराम    शर्मा  आचार्य  ने  इन  शब्दों  में  लिखा  है ----- "  भावनाओं   को  दिशा  देने  वाली  कुंजी  उन  हाथों  में  चली  गई  जिनमे  नहीं  जानी  चाहिए  थी  l  बारूद की  पेटी बालकों  को  थमा  दी  जाये ,  तलवार  बन्दर  को  मिल  जाये  ,  सशक्त  औषधियों  का   उपयोग  कोई  अनाड़ी  करने  लगे ,  खजाने  की  व्यवस्था  कोई   पागल  संभाले  तो  उसका  परिणाम  अहितकर  ही  होगा  l  भावनाओं  को  प्रभावित  करना  एक  ऐसा  महत्वपूर्ण  कार्य  है   जिस  पर  संसार  का  भाग्य  और  भविष्य  जुड़ा  हुआ  है    इसलिए  इसको  प्रयुक्त  करने  का  अधिकार  सत्पात्रता  की  आग  में  तपे  हुए  अधिकारियों  और मनीषियों  को  मिलना  चाहिए   जो  कला  को  सद्विचारों  - सद्भावों  का  माध्यम  बना  सके   l  "
विचारों  और  भावनाओं  का  परिष्कार  अनिवार्य  है  l