कहते हैं ' बड़ी मछली छोटी मछली की निगल जाती है ' --- इस सम्बन्ध में अध्ययन - अनुसंधान करने वाले इसके कारण व परिणाम का विश्लेषण करते हैं लेकिन जहाँ मानव जीवन में , आर्थिक क्षेत्र में यही बात कही जाये तो बिना छल - छद्म के ऐसा संभव नहीं होता l एक ही तरह की परिस्थिति में कहीं उद्दोग धंधे बंद हो जाते हैं , बेरोजगारी और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई l इसका दूसरा पक्ष देखें तो व्यापार - व्यवसाय ऐसा चमकता है कि लोग अरबपति हो जाते हैं l विचित्रताओं का यह संसार है , कहीं जश्न मन रहा है , कहीं मातम है l ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि लोग जागरूक नहीं है , लोगों की चेतना मूर्छित है l
5 May 2020
WISDOM -----
गुरु - शिष्य भ्रमण को निकले l उन्हें राह में एक हाथी मिला , जो एक रस्सी से खूंटे से बँधा खड़ा था l उत्सुकतावश शिष्य ने महावत से पूछा --- " बंधु ! यह रस्सी तो पतली सी है और ये विशाल हाथी , जब चाहे इसे तोड़कर मुक्त हो सकता है , फिर यह भागता क्यों नहीं ? "
महावत बोला --- " जब ये हाथी छोटा था , तब यही रस्सी इसे बाँधने के लिए पर्याप्त थी और अब इसके पूर्व अनुभव इसे ये आभास ही नहीं होने देते कि ये रस्सी इतनी मजबूत नहीं कि उसे रोक सके l "
यह सुनकर गुरु बोले --- " मनुष्य भी इसी हाथी की तरह है l अपनी आत्मशक्ति को पहचानता नहीं और अपनी कमजोरियों के कारण दीन - हीन स्थिति में पड़ा रहता है l
महावत बोला --- " जब ये हाथी छोटा था , तब यही रस्सी इसे बाँधने के लिए पर्याप्त थी और अब इसके पूर्व अनुभव इसे ये आभास ही नहीं होने देते कि ये रस्सी इतनी मजबूत नहीं कि उसे रोक सके l "
यह सुनकर गुरु बोले --- " मनुष्य भी इसी हाथी की तरह है l अपनी आत्मशक्ति को पहचानता नहीं और अपनी कमजोरियों के कारण दीन - हीन स्थिति में पड़ा रहता है l
WISDOM -----
मनुष्य जैसी परिस्थितियों में लम्बे समय तक रहता है , उसको वैसे ही रहने की आदत बन जाती है l दीर्घकाल तक जो जातियाँ या समाज आधीनता में रहे , वे शारीरिक रूप से स्वतंत्र भी हो जाएँ तब भी वे मानसिक रूप से पराधीन बनी ही रहती हैं l अपने भीतर की कमजोरियों के कारण , वर्षों तक स्वाभिमान के कुचले जाने के कारण और मुख्य रूप से संगठित न होने के कारण वे दबी - कुचली स्थिति में रहने को विवश होते हैं l ये लोग जब जागरूक होंगे , अपने भीतर की शक्ति को पहचानेगें , अपने स्वाभिमान को जगायेंगे , तभी इनकी स्थिति में सुधार होगा l
इसका दूसरा पक्ष देखें तो वे जातियाँ जिन्होंने युगों तक दूसरे समाज को , जातियों को अपने आधीन रखा , उनकी सब पर हुकूमत जमाने की आदत जाती नहीं है l वे अपने आधीन रहे पक्ष को हमेशा अपने से हीन व निम्न स्थिति में ही देखना चाहते हैं l उनकी ख़ुशी , उनकी तरक्की उनसे सहन नहीं होती l अपने समान स्तर पर उन्हें बैठे हुए देखना उनकी बर्दाश्त के बाहर होता है l इसी लिए वे अपनी सामर्थ्य का उपयोग उनको उठाने के लिए नहीं , उन्हें उसी हीनता की स्थिति में बनाये रखने के लिए करते हैं l
संसार में जो भी समस्याएं हैं , अशांति है , पीड़ा है , वह धनवानों , बुद्धिमान और स्वयं को श्रेष्ठ समझने वाले लोगों के अहंकार के कारण ही है l जब लोग समझेंगें कि इस धरती पर चैन से जीने का हक सबको है , तभी शांति होगी l
इसका दूसरा पक्ष देखें तो वे जातियाँ जिन्होंने युगों तक दूसरे समाज को , जातियों को अपने आधीन रखा , उनकी सब पर हुकूमत जमाने की आदत जाती नहीं है l वे अपने आधीन रहे पक्ष को हमेशा अपने से हीन व निम्न स्थिति में ही देखना चाहते हैं l उनकी ख़ुशी , उनकी तरक्की उनसे सहन नहीं होती l अपने समान स्तर पर उन्हें बैठे हुए देखना उनकी बर्दाश्त के बाहर होता है l इसी लिए वे अपनी सामर्थ्य का उपयोग उनको उठाने के लिए नहीं , उन्हें उसी हीनता की स्थिति में बनाये रखने के लिए करते हैं l
संसार में जो भी समस्याएं हैं , अशांति है , पीड़ा है , वह धनवानों , बुद्धिमान और स्वयं को श्रेष्ठ समझने वाले लोगों के अहंकार के कारण ही है l जब लोग समझेंगें कि इस धरती पर चैन से जीने का हक सबको है , तभी शांति होगी l
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