9 July 2021

WISDOM ------

   मनोयोग  और  श्रमशीलता  के  बल  पर  अर्जित  आत्मविश्वास    से  ही  व्यक्ति  महानता  के  पथ  पर  अग्रसर  होता  है   l भारत  के  प्रथम  राष्ट्रपति      डॉ.  राजेंद्र  प्रसाद   सादगी , सरलता ,  उदारता , परोपकार   अदि  अनेक  गुणों  से  विभूषित  थे   l   उनका  एक  विशेष  गुण   था  कि   वे  एक  बार  जो  पढ़  लेते  थे    उसे  भूलते  नहीं  थे  l ----- एक  प्रसंग  है  ----- कांग्रेस  कार्यकारिणी  के  प्रधान  सदस्य  परेशान   थे   क्योंकि  वह  रिपोर्ट  नहीं    मिल     रही  थी    , जिसके  आधार  पर  महत्वपूर्ण   प्रस्ताव  पारित  करने  के  लिए    कार्यकारिणी   की    विशेष  बैठक  बुलाई  गई  थी   l   इस  रिपोर्ट  को  डॉ. राजेंद्र  प्रसाद  पढ़  चुके  थे   l   जब  उन्हें  इस  समस्या  की  जानकारी  मिली  तो  उन्होंने  कहा  ---- आवश्यक  हो  तो  उसे  पुन:  बोलकर  नोट   करा  सकता  हूँ   l   लोगों  को  विश्वास  न  हुआ  कि   इतनी  लम्बी  रिपोर्ट  एक  बार  पढ़ने  के  बाद  ज्यों  की  त्यों  लिखाई  जा  सकती  है   l   राजेंद्र  बाबू  सौ   से  भी  अधिक  पृष्ठ  लिखा   चुके   तब  वह  रिपोर्ट  मिल  गई   l   कौतूहल वश  लोगों  ने  मिलान  किया   तो  कहीं  भी  अंतर  नहीं  मिला  l   पंडित  नेहरू  ने  प्रशंसा  भरे  स्वर  में  पूछा  --- "  ऐसा  आला  दिमाग  कहाँ  से  पाया   राजेंद्र  बाबू   ?  "  उन्होंने  मुस्कराते  हुए  उत्तर  दिया  --- "  यह  दिमाग  दूध  से  बना  है  ,  अंडे  से  नहीं   l "