28 June 2019

WISDOM -----

चिंतन  और  चरित्र  यदि  निम्न  स्तर  का  है  तो  उसका  प्रतिफल  भी  दुःखद,  संकट ग्रस्त  अवं  विनाशकारी  होगा  l   उन  दुष्परिणामों  को   कर्ता  स्वयं तो  भोगता  ही  है  , साथ  ही  अपने  सम्बद्ध  परिकर  को  भी  दलदल में  घसीट  ले  जाता  है  l  नांव  की  तली  में  छेद  हो  जाने  पर   उसमे  बैठे  सभी  यात्री   मंझधार  में  डूबते  हैं  l 
  रावण  बहुत  विद्वान,  वेद  व  शास्त्रों  का  ज्ञाता  था  l  लेकिन  अहंकारी  था  ,  उसने  सीताजी  का अपहरण  किया ,  उसने  स्वयं  तथा  अपने  राक्षसों  को  भेजकर  ऋषियों  पर  बहुत  अत्याचार  किये  l  इन्ही  सब  कुकर्मों  का  परिणाम  था  कि  अपने  एक  लाख  पूत  और  सवा  लाख  नाती  समेत  नष्ट  हो  गया  l 
       ' रावण  का  मरा  हुआ  शरीर  पड़ा  था  l  उसमे  सौ  स्थानों  पर  छिद्र  थे  l  सभी  से  लहु  बह  रहा  था  l  लक्ष्मणजी  ने  राम  से  पूछा  --- आपने  तो  एक  ही  बाण  मारा  था  l  फिर  इतने  छिद्र  कैसे  हुए  ?  भगवान  ने  कहा --- मेरे  बाण  से  तो  एक  ही  छिद्र   हुआ  l  पर  इसके  अपने  कुकर्म   घाव  बनकर  अपने  आप  फूट  रहे  हैं   और  अपना  रक्त  स्वयं  बहा  रहे  हैं   l  '