12 October 2019

WISDOM ----- किसी हिंसक डाकू से अहिंसक योद्धा अनीति और अन्याय के लिए खतरनाक होता है

  बात  उन  दिनों  की  है    जब  सारे  रूस में  आतंकवाद  का  साम्राज्य  था   l      प्रिंस  क्रोपाटकिन  का  जन्म  राजवंशी  परिवार  में  हुआ  था  l  जब  उन्होंने  साइबेरिया  में    जार  के  अत्याचार   से  त्रस्त  लोगों  को नारकीय  जीवन  जीते  देखा    तो  उनका  ह्रदय  विद्रोह  से  भर  गया  ,  उन्होंने  तुरंत  शासकीय  सेवा  से  त्यागपत्र   दे  दिया  ,  उनके  व्यक्तित्व  का  मानवीय  पक्ष  जाग्रत  हो  गया  l
  उन्हें  देश  के  लाखों - करोड़ों  लोगों  के  दुःख - दर्द  की  चिंता  थी  l   क्रांति  उनका  धर्म  था    लेकिन  उन्होंने  साधन  और  साध्य  की पवित्रता  पर  जोर  दिया    l  कलम  और  वाणी  के  माध्यम  से   उन्होंने    ऐसी  ही    पद्धतियों  का  प्रचार  किया  जो  मानवता  से  सीधा  सम्बन्ध  रखती  थीं   l   चाहे  संगठन  का  काम  हो  , विरोधियों  से  व्यवहार  हो , कोई  भी  काम  हो  उसमे   वे   अनुचित  साधनों  के  प्रयोग  को  किसी  भी  दशा  में  सहन  नहीं  करते  थे   l    उन्होंने   जार  के  अत्याचारी  शासन  के  विरुद्ध  आवाज  उठाई  तो  उन्हें  देश  से   निष्कासित  कर  दिया    और  जार  के  ही  इशारों  पर  फ़्रांस की  सरकार  ने   अकारण  ही  उन्हें  ढाई  वर्ष  जेल  में  रखा  l   कारावास   में  उन्होंने  ' परस्पर  सहयोग  '    और  ' रोटी  का  सवाल  ' जैसे  महत्वपूर्ण   ग्रंथों  की  रचना  की    जिनका  विश्व  व्यापी महत्व  है   l  आज  भी  उनके  जीवन  की  स्मृति  दिलाने  वाली  वस्तुएं  उनके  नाम  पर  स्थापित  म्यूजियम  में  सुरक्षित  हैं   l