26 July 2021

WISDOM ------

  बट्रेंड   रसेल  ने  लिखा  है  ---- " मानव  जाति   अब  तक  जीवित  रह  सकी   तो  अपने  अज्ञान  और  अक्षमता  के  कारण  ही  l   यदि  ज्ञान  व  क्षमता   मूढ़ता  के  साथ   युक्त  हो  जाये   तो  उसके   बच  रहने  की  कोई  संभावना  नहीं   l   जब  तक  मनुष्य  में  ज्ञान  के  साथ - साथ    विवेक  का  भी  विकास  नहीं  होता  ,  ज्ञान  की  वृद्धि   दुःख  की  वृद्धि  ही  साबित  होगी   l "   पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने   अपने  आध्यात्मिक  अनुभवों  के  आधार  पर  बताया   है   ----- "   मानव  की  समस्याओं  का  यथार्थ   और   सार्थक    समाधान   उसकी  अपनी  चेतना  में  है   l   मानव  चेतना  को  सही  और  समग्र  ढंग  से   जाने  बिना  विज्ञान   अधूरा  है   l   वह  ऐसा  ही  है  कि   सारे  जगत  में  तो  प्रकाश  हो   और  अपने  ही  घर  में  अँधेरा  हो   l   ऐसे  अधूरे  ज्ञान  से   और  अपनी  ही  चेतना  को  न  जानने  से  जीवन  दुःख  में   परिणत  हो  जाता  है   l   जो  मानव  चेतना  के  ज्ञान  से    विमुख  है   ,  वह  अधूरा  है   और  इस  अधूरेपन  से  ही  दुःख  पैदा   होते  हैं    l  "    आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ----- विज्ञानं  ने  अपरिमित्तम  शक्तियां  मानव  को  दी  हैं  ,  पर  उससे  शक्ति  आई ,  शांति   नहीं   शांति  पदार्थ  को  नहीं  चेतना  को  जानने  से  आती  है   l   जिन्होंने  मात्र  विज्ञानं   की  खोज  की  है  वे  शक्तिशाली  तो  हो  गए  ,  पर  अशांत  हैं   और  जिन्होंने  मात्र  अध्यात्म  का  अनुसन्धान  किया  वे  शांत  तो  हो  गए  ,  पर  लौकिक  दृष्टि  से  अशांत  और  दरिद्र  हैं  l  "  आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- मैं  शक्ति  और  शांति  को  अखंडित  रूप  से  चाहता  हूँ   l   मैं  विज्ञानं  और  अध्यात्म  में  समन्वय  चाहता  हूँ  l    मनुष्य  न  तो  मात्र  शरीर  है  और   न  मात्र  आत्मा    ही   l   वह  दोनों  का  सम्मिलन  है   l   इसलिए  उसका  जीवन  किसी  एक  पर  आधारित  हो  ,  तो  वह  अधूरा   हो  जाता  है   l   इस  अधूरेपन  को  पूरा  करना  ही  युग  - धर्म   है   l 

WISDOM ------

   एक  बादशाह  ने  बहुत  शराब  पी  रखी   थी  l   मदहोशी  में  वे  गृहस्थों  के  घर  घुसने  लगे  l   साथ  में  वफादार  नौकर  भी  था  ,  उसने  वहां  जाने  से  रोका   और  वापस  राजमहल  में  ले  आया   l  होश  में  आने  पर   दूसरे  दिन   दरबारियों  ने   नौकर  की  गुस्ताखी  बताई  और   उसे  सजा  देने  को  कहा  l   बादशाह  ने  उसे  राज्य  का   मंत्री  बना  दिया    और  कहा   वफादारी   इसमें  है   कि   मालिक  को  गलत   रास्ते  पर  चलने  से  रोके  भी  l