महाकवि कालिदास ने एक प्रसंग में कहा है ---- " पुरानी होने से ही कोई वस्तु अच्छी नहीं हो जाती और न ही नई होने मात्र से ही कोई बुरी ! केवल मूढ़ भेड़चाल को अपनाते हैं , जबकि बुद्धिमान विवेक का आश्रय लेते हुए , गुण - दोष की परीक्षा करते हुए स्वयं चुनाव करते हैं l " आचार्य श्री लिखते हैं ---- ' जो राष्ट्र केवल अपने समय में वर्तमान में ही जीता है , वह सदा दीन होता है , यथार्थ में समुन्नत वही होता है जो अपने आपको अतीत की उपलब्धियों तथा भविष्य की संभावनाओं के साथ जोड़कर रखता है l "