1917-18 में जब अमेरिका में लाखों व्यक्ति सेना में काम करने और गोला - बारूद कारखानों में नौकरी करने चले गए और वहां अन्न की कमी पड़ने लग गई तो कैम्पबेल ने खाली पड़ी दो लाख एकड़ भूमि में खेती की योजना बना कर सरकार के सामने रखी l अमरीका के राष्ट्रपति ने भी उन पर विश्वास कर उस योजना को मंजूर किया , बैंकों ने कर्ज दिया और कैम्पबेल ने अपनी योग्यता से मशीनों की सहायता से कुछ ही समय में एक लाख दस हजार एकड़ बंजर जमीन में लहलहाती फसल पैदा कर के दिखा दी , जिससे करोड़ों व्यक्तियों को रोटी मिल सकने की व्यवस्था हो गई l
जो काम कैम्पबेल ने अमेरिका में किया वही श्री गंगाराम ने भारत में कर दिखाया l उनके पास अमेरिका जैसे साधन नहीं थे और न ही उस समय की विदेशी सरकार पूरा सहयोग दे रही थी तो भी उन्होंने अपने साहस और योग्यता से असंभव कार्य संभव किया -----------
जब 1903 में गंगाराम जी ने सरकारी नौकरी छोड़ी , तब सरकार ने पुरस्कार स्वरुप चिनाव की नहर पर 20 एकड़ बंजर भूमि दी l उन्होंने वैज्ञानिक रीतियों से उस भूमि को इतना उपजाऊ बना दिया कि लोग आश्चर्य चकित रह गए l सरकार ने फिर उन्हें उसके जैसी 50 वर्ग एकड़ भूमि और दी , यह पानी के धरातल से बहुत ऊँची थी , पर गंगाराम जी ने मशीन से जल को ऊपर चढ़ा कर इस बंजर भूमि को जल से तर कर दिया , यहाँ भी हरे - भरे पौधे लहलहा उठे l उन्होंने हजारों एकड़ ऊसर भूमि को सिंचाई की व्यवस्था द्वारा उपजाऊ बनाकर बड़े - बड़े फार्म स्थापित किये थे
सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने तब आई जब प्रथम महायुद्ध के समय सरकार ने पंजाब में हजारों सिपाही कृषि योग्य जमीन दिए जाने का प्रलोभन देकर भर्ती किये थे l किन्तु जाँच से पता चला कि उपजाऊ भूमि बहुत कम है और जब तक बंजर भूमि को उपजाऊ न बनाया जाये तब तक काम नहीं चलेगा l जब इस काम के लिए गंगाराम जी को कहा गया तो अन्न उत्पादन में वृद्धि राष्ट्र हित में है , उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया l इसके लिए सरकार की शर्त भी कड़ी थी कि इस भूमि को उपजाऊ बनाकर तीन वर्ष बाद मय मशीनों के सरकार को सिपाहियों को बसाने के लिए लौटा देंगे l गंगाराम जी ने बड़े परिश्रम और मितव्ययता से कार्य किया जिससे एक पैसा भी व्यर्थ खर्च न हो l अनेक बाधाओं का सामना कर के इस चुनौती पर उन्होंने विजय पाई l कृषि की उपज पर उन्हें काफी लाभ मिला जिसे उन्होंने परोपकार में लगाया l
इस सफलता से सरकार को उनपर विश्वास हो गया और अब 40 हजार एकड़ भूमि उन्हें ठीक करने को दी गई l इसकी शर्तें पहले से भी कड़ी थीं कि सरकार बिना एक पैसा लगाये सात वर्ष बाद समस्त जमीन वापस लेगी l लोगों को यह कार्य असंभव जान पड़ा , पर गंगाराम जी ने कृषि योग्य भूमि की वृद्धि देश के लिए कल्याणकारी है , इस विचार से वृद्धावस्था में भी बहुत कुशलता व परिश्रम से कार्य को पूर्ण किया कि सब लोग वाह-वाह करने लगे l
पंजाब के गवर्नर ने एक विशाल जन समूह के सम्मुख कहा ---- " श्री गंगाराम ने अपने प्रान्त के लिए जो महान काम किया वह अत्यंत प्रशंसनीय है l वे एक वीर की भांति जीतना ही नहीं जानते बल्कि साधु की भांति दे डालना भी जानते हैं l ---- हमेशा उनका नाम बड़े स्नेह के साथ लिया जायेगा l "
जो काम कैम्पबेल ने अमेरिका में किया वही श्री गंगाराम ने भारत में कर दिखाया l उनके पास अमेरिका जैसे साधन नहीं थे और न ही उस समय की विदेशी सरकार पूरा सहयोग दे रही थी तो भी उन्होंने अपने साहस और योग्यता से असंभव कार्य संभव किया -----------
जब 1903 में गंगाराम जी ने सरकारी नौकरी छोड़ी , तब सरकार ने पुरस्कार स्वरुप चिनाव की नहर पर 20 एकड़ बंजर भूमि दी l उन्होंने वैज्ञानिक रीतियों से उस भूमि को इतना उपजाऊ बना दिया कि लोग आश्चर्य चकित रह गए l सरकार ने फिर उन्हें उसके जैसी 50 वर्ग एकड़ भूमि और दी , यह पानी के धरातल से बहुत ऊँची थी , पर गंगाराम जी ने मशीन से जल को ऊपर चढ़ा कर इस बंजर भूमि को जल से तर कर दिया , यहाँ भी हरे - भरे पौधे लहलहा उठे l उन्होंने हजारों एकड़ ऊसर भूमि को सिंचाई की व्यवस्था द्वारा उपजाऊ बनाकर बड़े - बड़े फार्म स्थापित किये थे
सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने तब आई जब प्रथम महायुद्ध के समय सरकार ने पंजाब में हजारों सिपाही कृषि योग्य जमीन दिए जाने का प्रलोभन देकर भर्ती किये थे l किन्तु जाँच से पता चला कि उपजाऊ भूमि बहुत कम है और जब तक बंजर भूमि को उपजाऊ न बनाया जाये तब तक काम नहीं चलेगा l जब इस काम के लिए गंगाराम जी को कहा गया तो अन्न उत्पादन में वृद्धि राष्ट्र हित में है , उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया l इसके लिए सरकार की शर्त भी कड़ी थी कि इस भूमि को उपजाऊ बनाकर तीन वर्ष बाद मय मशीनों के सरकार को सिपाहियों को बसाने के लिए लौटा देंगे l गंगाराम जी ने बड़े परिश्रम और मितव्ययता से कार्य किया जिससे एक पैसा भी व्यर्थ खर्च न हो l अनेक बाधाओं का सामना कर के इस चुनौती पर उन्होंने विजय पाई l कृषि की उपज पर उन्हें काफी लाभ मिला जिसे उन्होंने परोपकार में लगाया l
इस सफलता से सरकार को उनपर विश्वास हो गया और अब 40 हजार एकड़ भूमि उन्हें ठीक करने को दी गई l इसकी शर्तें पहले से भी कड़ी थीं कि सरकार बिना एक पैसा लगाये सात वर्ष बाद समस्त जमीन वापस लेगी l लोगों को यह कार्य असंभव जान पड़ा , पर गंगाराम जी ने कृषि योग्य भूमि की वृद्धि देश के लिए कल्याणकारी है , इस विचार से वृद्धावस्था में भी बहुत कुशलता व परिश्रम से कार्य को पूर्ण किया कि सब लोग वाह-वाह करने लगे l
पंजाब के गवर्नर ने एक विशाल जन समूह के सम्मुख कहा ---- " श्री गंगाराम ने अपने प्रान्त के लिए जो महान काम किया वह अत्यंत प्रशंसनीय है l वे एक वीर की भांति जीतना ही नहीं जानते बल्कि साधु की भांति दे डालना भी जानते हैं l ---- हमेशा उनका नाम बड़े स्नेह के साथ लिया जायेगा l "