ईश्वर का नाम लेने के साथ यदि उनके आदर्शों का जीवन में पालन किया जाए तो संसार में सुख - शांति हो l आज व्यक्ति अपने से कमजोर पर अत्याचार करने को उतारू है और अपने स्वार्थ के लिए , अनुचित लाभ के लिए वह अत्याचारी की , अपराधी की मदद करता है l भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं , वे चाहते तो रावण से मुकाबला करने को महाबलशाली बालि की मदद ले सकते थे , पर श्रीराम ने किसी दुराचारी की मदद लेना स्वीकार नहीं किया l स्वेच्छाचारी अन्यायी को छोड़कर सदाचारी दीन - हीन सुग्रीव को अपना मित्र बनाया l बालि का वध करके सुग्रीव का राज्याभिषेक किया और फिर वानर सेना की मदद से सीताजी की खोज आरम्भ की l
25 February 2021
WISDOM ----- स्वाभिमान को खो कर यदि सफलता प्राप्त की है तो वह व्यर्थ है , उसका कोई मूल्य नहीं
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- 'हमारे देश का बहुत सारा बोध और स्वाभिमान विदेशी गुलामी ने नष्ट किया और काफी कुछ रूढ़िवादिता ने l विदेशी गुलामी से जकड़ा अपना देश इतना निरीह एवं दुर्बल हो गया था कि वह अपने स्वाभिमान की रक्षा ही न कर सका l इसके अलावा हम स्वयं ऋषियों द्वारा प्रवर्तित धर्म को भी सही ढंग से संरक्षित न कर सके l ' आज के समय में स्वार्थ , अति महत्वाकांक्षा , धन और पद की लालसा ने स्वाभिमान को ताले में बंद कर दिया है l हमारे देश में अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने अपने आचरण से लोगों को अपने सोये हुए स्वाभिमान को जगाने के लिए प्रेरित किया l ---- जब भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था , उन दिनों अंग्रेजों के सामने कोई भारतीय पालकी या घोड़े पर नहीं बैठ सकता था l एक दिन राजा राममोहन राय पालकी में बैठकर कहीं जा रहे थे l कलेक्टर हैम्लिटन को ऐसा देखकर बहुत गुस्सा आया , उसने उन्हें पालकी से उतार के भला - बुरा कहा l राजा राममोहन राय उस समय तो चुप रहे , बाद में उन्होंने लॉर्ड मिन्टो से इसकी शिकायत की l उनके मित्रों ने बात को वहीँ समाप्त करने का सुझाव दिया l तब राजा राममोहन राय ने कहा ----- " यह भारत के स्वाभिमान का मुद्दा है l अगर उनके इस भेदभाव का विरोध नहीं किया गया तो यह समस्या बढ़ती ही जाएगी l " उन्होंने अंग्रेजों द्वारा हिन्दुस्तानियों से किए जा रहे बुरे बरताव के खिलाफ कानून बनाने की ठान ली और बाद में अपने अथक प्रयासों से एक ऐसा कानून बनवा पाने में सफल भी हुए l