श्रीमद भगवद्गीता में कहा गया है --- ज्ञान , कर्म और भक्ति का समुच्चय जीवन के समग्र विकास के लिए अनिवार्य है l लेकिन वर्तमान समय में लोग स्वयं को धार्मिक और ईश्वर का भक्त कहलाने का केवल दिखावा करते हैं l यही कारण है कि संसार में इतनी अशांति और तनाव है l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- व्यक्तित्व का और विचारों का परिष्कार अनिवार्य है l अपने अवगुणों को दूर करो और सद्गुणों को अपनाओ l बाहरी जगत में जितनी भी समस्याएं हैं उनका कारण मनुष्य के भीतर छिपे दुर्गुण ही है l