26 July 2018

WISDOM ----- गुरु बिन ज्ञान नहीं

' हम  सबके  भीतर   महानतम  , श्रेष्ठतम  बनने  की  संभावनाएं  हैं   l  कभी - कभी  जीवन  को  गढ़ने  वाला   गुरु ,  मार्गदर्शक  मिल  जाता  है   तो  हम  क्या  से  क्या  बन  जाते  हैं   l  
       एक  मंदिर   बन  रहा  था  l  देश  भर  से  आये  शिल्पी  पत्थरों    पर   छैनी  से  काम  कर  रहे  थे  l  एक  पत्थर  कारीगरों  के  मुखिया  ने  बेकार  समझकर   फेंक  दिया  l  रास्ते  में  पड़ा  वह  पत्थर   मजदूर - राहगीरों  की   ठोकरें  खाता,  इधर - उधर  होता  व  उदास मन  से  देखता  रहता  कि  और  तो   सँवरकर   मूर्ति  का  रूप  लेकर   निखर  रहे  हैं  l   मैं  अभागा  पैरों  के  नीचे  दबाया  जा  रहा  हूँ   l 
  एक  दिन  एक  राजकलाकार  उधर  से  गुजरा  l उसने  वह  बेकार  पड़ा  हुआ  पत्थर  उठाया  ,  छैनी  चलानी  आरम्भ  की   व  देखते - देखते   कुछ  ही  घंटों  में  एक  सुन्दर  सी  मूर्ति  तराशकर  खड़ी  कर  दी   l  सबने  उसकी  प्रशंसा  की   कि  वह  बड़ा  प्रतिभाशाली  है   l  एक  राह  के  रोड़े  को  रूपांतरित  कर  दिया  l
 कलाकार  बोला  ---- " मैं  तो  औरों  की  तरह  ही  हूँ  l  जो  पत्थर  में  से प्रकट  किया   है ,  वह  था  पत्थर  के  अन्दर  ही   l  मैंने  तो  मात्र  पहचाना  व  उकेरा  है  l  " 
  हम  सबके  भीतर  भी  श्रेष्ठतम  बनने  की  संभावनाएं   हैं   l  जब  जीवन  को  गढ़ने  वाला  गुरु ,  मार्गदर्शक  मिल  जाता  है    तो  हम  क्या  से  क्या  बन  जाते  हैं   l