19 August 2022

WISDOM ------

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " समाज  में  छाये  हुए   अनाचार , असंतोष  और  दुष्प्रवृतियों   का   मात्र  एक  ही  कारण  है   कि   जन  साधारण  की  आत्मचेतना  मूर्च्छित   हो  गई  है   l   समुद्र  के  बीच  में  खड़ा  प्रकाश स्तम्भ   बुझ  जाये   तो  फिर  उस  क्षेत्र  में  चलने  वाले   जलयान  चट्टान  से  टकराकर   दुर्घटना ग्रस्त  होंगे  ही   l  "       आचार्य न्श्री  लिखते  हैं ----- ' धूर्तता  के  बल  पर   आज  कितने  ही  अपराधी  प्रवृति  के  लोग   क़ानूनी  दण्ड  से  बच  निकलने   में  सफल  हो  जाते  हैं   l  लेकिन  असत्य  का  आवरण   अंतत:  फटता  ही  है   l  जनमानस   में  व्याप्त  घ्रणा  का   सूक्ष्म  प्रभाव   उस  मनुष्य  पर   अद्रश्य   रूप  से   पड़ता  है   l  जिसकी  आत्मा  धिक्कारेगी   उसके  लिए  देर -सबेर   सभी  कोई  धिक्कारने   वाले  बन  जायेंगे  l  ऐसी  धिक्कार  एकत्रित  कर  के   यदि  मनुष्य   जीवित  भी  रहा  तो   उसका  जीवन  न  जीने  के  बराबर  है   l  विपुल  साधन -संपन्न   होते  हुए  भी   व्यक्ति  इसी  कारण   सुख  शांति  पूर्वक   नहीं  रह  पाते    क्योंकि   उन  उपलब्धियों  के  मूल  में   छुपी  अनैतिकता   व्यक्ति  की  चेतना  को   विक्षुब्ध  किए  रहती  है    l  '