कहते हैं --- ' सोए हुए को जगाया जा सकता है लेकिन जो जागते हुए भी सो रहा है , उसे भला कौन जगा सकता है l ' जब चारों तरफ चोरी , बेईमानी , भ्रष्टाचार , मिलावट , कालाबाजारी , धोखा , अपराध का बाजार गर्म हो , तब अपने जीवन के लिए , उखड़ती साँसों के लिए बदहवास होकर भागना --------- ? मृत्यु से कोई नहीं बचा है , जितनी श्वास ईश्वर ने हमें दी हैं उसे कोई छीन नहीं सकता l ' लेकिन यह कथन तभी सत्य सिद्ध होगा जब हम जागरूक होंगे , परिस्थिति , वातावरण को समझ कर विवेकपूर्ण निर्णय लेंगे l जब - जब धर्म का नाश हुआ तब ईश्वर ने अवतार लिया , अपने आचरण से शिक्षण दिया l अत्याचारी , पापियों का, अधर्म का नाश किया , न्याय और धर्म की स्थापना की l इससे हमारी आदत बन गई कि भगवान आएंगे , अत्याचार , अन्याय का अंत होगा l लेकिन नहीं ! भगवान कहते हैं हम कहाँ तक अवतार लें , मनुष्य जागरूक ही नहीं होता l विज्ञान का ही दूसरा नाम -भस्मासुर है , जिसमे विवेक नहीं था , संवेदना नहीं थी , अपने धन और शक्ति के बल पर संसार को और शिवलोक को जीतना चाहता था , दुनिया को अपने तरीके से चलाना चाहता था l हमें समझना होगा कि अब विष्णु भगवान मोहिनी रूप रख कर उसका अंत नहीं करेंगे , हमें ही जागरूक और संगठित होकर विवेकपूर्ण तरीके से भस्मासुर को हर सिर पर हाथ रखने से रोकना होगा , अपने भीतर के देवत्व को जगाना होगा ताकि भस्मासुर स्वयं अपने ही सिर पर अपना हाथ रख ले l