11 July 2022

WISDOM -----

   पं. श्रीराम  शर्मा   आचार्य  जी  ने  इतना  विशाल  साहित्य  लिखा  है  जिसको  पढने  समझने  के  लिए   पूरा  जीवन  भी  लगा  दें  तो   कम  है  l   यदि  किसी  को  कुछ  समझ  में  आता  भी  है  तो  वह  उनकी  कृपा  से  ही  संभव  है  l  आचार्य  श्री  ने  विचारों  के  परिष्कार   को  अनिवार्य  माना  ,  जब  विचार  श्रेष्ठ  होंगे  ,  तभी  आचरण  अच्छा  होगा  l  ईश्वर  के  बार - बार  चेताने  के  बावजूद  भी  यदि  मनुष्य  नहीं  सुधरता  है  तो  शिव  को  अपना  तृतीय  नेत्र  खोलना  ही  पड़ता  है   l  आचार्य श्री  लिखते    हैं ------------  " भगवान  शिव  का  किसी  से   द्वेष  नहीं  है   l  वे  तो  परम  कारुणिक   और  मंगलमय  हैं   l  इसी  से  उन्हें  शिवशंकर  कहते  हैं   l  भोला   भी    उनका  नाम  है  l    भोला  का  अर्थ  है ----  सरल , सौम्य  और  सज्जन   l  विवशता  ही  उन्हें  बाध्य  करती  है   कि  जब  मनुष्य   अत्यधिक  दुराग्रही  , अहंकारी  और  ढीठ   हो  जाता  है  , सज्जनता  की    रीति -नीति  को   बेतरह  तोड़ता  है  ,  दुष्टता  पर  उतारू  हो  जाता  है  ,  तभी  उन्हें  कुछ  ऐसा   करना  पड़ता  है  ,  जो  कष्टकर  और  भयंकर  दीखे  l   आज  का  मानव  समाज   विषव्रण   से  ग्रस्त  रोगी  की  तरह  है   l  उसके  कल्याण  का  मार्ग  यही   दीखता  है  कि  फोड़ा  चीर  दिया  जाये  ,  ताकि    सड़ा  मवाद   जो  हर  समय  वेदना  उत्पन्न  करता  है  ,  निकलकर  दूर  हो  जाये   l  अवतारों  का    यही    प्रयोजन  सदा  से  रहा  है   l " 

WISDOM -------

  अनमोल  मोती -----  '  एक  भेड़िये  के  गले  में   हडडी  अटक  गई   l  वह  सियार  के  पास  पहुंचा   और  बोला ---- --- " आपकी  लम्बी  थूथनी  है  l  कृपा  कर  के   मेरे  गले  में  उसे  डालकर   हडडी  निकाल  दीजिए   l  वक्त  आने  पर  मैं  तुम्हारे  काम  आऊंगा  l  "  सियार  ने  वह  हडडी  निकाल  दी   l   एक  दिन  सियार  को   भेड़िये   की  सहायता  की  आवश्यकता   पड़ी   l  उसने  पिछला  अहसान  याद  दिलाया  l  भेड़िये  ने  कहा  --- " मेरा  यह  अहसान  क्या  कम  है  ,  जो  मुँह  के  अन्दर  पहुंची   हुई  तुम्हारी  गर्दन  बख्श  दी  l  "     इस  कथा  से  हमें  यही  शिक्षा  मिलती  है  कि  दुष्ट  व्यक्ति  के  साथ  कभी  कोई  सरोकार  न  रखे  l  यदि  जाने - अनजाने  उनसे  कभी  कोई  सरोकार  हो  भी  जाता  है   तो  उनसे  प्रत्युपकार  की  आशा  कभी  न  करे   l